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फिनटेक यूनिकॉर्न Razorpay अब 7.5 अरब डॉलर की कंपनी बन गई है, ये इस कंपनी की वैल्यूएशन है. कंपनी को 375 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिलने के बाद इसकी वैल्यूएशन बढ़ी है. Razorpay अब पेटीएम (Paytm) के बाद इस क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे मूल्यवान स्टार्ट-अप बन गया है.
कंपनी की वैल्यूशन 15 महीनों में सात गुना से ज्यादा बढ़ गई है. इसके बाद डिजिटल पेमेंट कंपनी फोनपे सबसे वैल्यूड फिनटेक की लिस्ट में तीसरे स्थान पर आ गई है. कंपनी की योजना है कि 2022 में निवेश कर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से शुरू होकर दुनिया भर में विस्तार करेगी.
अक्टूबर 2020 में Razorpay का मूल्य $1 बिलियन था जो अप्रैल 2021 में बढ़कर $3 बिलियन हो गया था. कोरोना महामारी के दौरान कंपनी की बहुत ग्रोथ हुई है.
रेजरपे के सीईओ और सह-संस्थापक हर्षिल माथुर ने कहा, "हमने इन सात सालों में एक लंबा सफर तय किया है और और आगे भी बहुत कुछ करेंगे. हमें विश्वास है कि हम भारत के लगभग हर क्षेत्र में पेमेंट और बैंकिंग के तरीके को बदलाव लाएंगे".
वहीं कंपनी के सीटीओ और सह-संस्थापक शशांक कुमार ने कहा, "हम नए प्रोडक्ट बनाना चाहते हैं जो लाखों बिजनसमैन और कस्टमर्स के जीवन को बदल देंगे."
Razorpay भारतीय बाजार में सबसे बड़े पेमेंट गेटवे में से एक है और कई ऑनलाइन बिजनेस की तरह इस कंपनी ने भी कोरोना महामारी की आपदा को अवसर में बदला क्योंकि इस दौरान सब कुछ ऑनलाइन हो गया है.
कंपनी व्यापार में वेबसाइट या ऐप के माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट स्वीकार करने, प्रोसेस करने और वितरित करने के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करती है. इसका उद्देश्य पैसे के लेन-देन और प्रबंधन को परेशानी मुक्त बनाना है. इसी तरह साल दर साल कंपनी ने अपने पोर्टफोलियो का विस्तार किया है.
एनडीटीवी से बातचीत में TechArc के मुख्य विश्लेषक फैसल कावूसा कहते हैं कि, भारतीय बाजार में डिजिटल पेमेंट की वृद्धि तेजी से हो रही है. डिजिटल पेमेंट एप का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. अब महानगरों में तो कई ऐसे लोग हैं जो अपने पेमेंट का 80 प्रतिशत से ज्यादा ऑनलाइन बैंकिंग, कार्ड और वॉलेट के माध्यम से यानी डिजिटल रूप में कर रहे हैं.
फैसल कहते हैं, हालांकि डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को सुरक्षा पहलुओं पर काम करना चाहिए ताकि फ्रॉड्ज को रोका जा सके.
Razorpay के दो फाउंडर्स हैं. शशांक कुमार और हर्षिल माथुर. दोनों ने आईआईटी रूड़की से पढ़ाई की है. YourStory के मुताबिक शशांक पटना से हैं जिनके पिता एसबीआई में काम करते थे. जब वो 11वीं और 12वीं में पढ़ रहे थे तब उन्होंने जावास्क्रिप्ट सीखा था. फिर उन्होंने अपने दम पर जावास्क्रिप्ट पर एक HTML कैलकुलेटर भी बनाया था.
आईआईटी, रुड़की से पढ़ाई पूरी करने के बाद शशांक ने माइक्रोसॉफ्ट, सिएटल में एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर के रूप में काम किया. वहीं हर्षिल मध्यपूर्वी देश में काम करने निकल पड़े थे.
फिलहाल Razorpay की स्थिति पर नजर डालें तो इसमें 100 से ज्यादा करंसी में लेन देन होता है जिससे दुनियाभर में इसकी पहुंच का अंदाजा लगाया जा सकता है. इसके अलावा कंपनी 25 से ज्यादा प्रोडक्ट प्रदान करती है.
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