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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 20 सितंबर को प्राइवेट बैंकों के लिए इंटरनल वर्किंग ग्रुप (IWG) की अनुशंसाओं को जारी किया है. रिजर्व बैंक ने ही IWG का गठन प्राइवेट बैंकों के मालाकिना हक और कॉरपोरेट स्ट्रक्चर पर नियमों को रिव्यू करने के लिए किया था. इन अनुशंसाओं में प्राइवेट बैंकों के कॉरपोरेट स्ट्रक्चर को लेकर कई सारे बदलाव किए गए हैं, जो काफी अहम हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबी अवधि के लिए (15 साल) प्रमोटर स्टेक कैपिटल 15% से बढ़ाकर 26% कर दिया गया है. इसके अलावा IWG ने ये भी कहा है कि नॉन प्रमोटर की शेयर होल्डिंग 15% तक ही सीमित होगी.
RBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि-
बड़ी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFCs) जिनके पास 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का एसेट साइज है, अगर उनको कामकाज करते हुए 10 साल या ज्यादा हो गए हैं तो वो कुछ बदलावों के साथ बैंक में कनवर्ट हो सकते हैं.
जिन पेमेंट बैंकों को 3 साल का अनुभव है, वो कुछ बदलावों के साथ स्मॉल फाइनेंस बैंक में कनवर्ट हो सकते हैं.
स्मॉल पेमेंट बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक 6 साल के बाद खुद को लिस्ट करा सकते हैं. बशर्ते अगर वो बैंक होने के लिए जरूरी कैपिटल को पूरा करते हैं. या फिर 10 साल से ज्यादा अनुभव वाले भी स्मॉल पेमेंट बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक भी खुद को बैंक में बदल सकते हैं.
नए बैंकों के लाइसेंसिंग के लिए इनीशियल कैपिटल की सीमा को 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये कर दिया है.
स्मॉल फाइनेंस बैंक के लिए इनीशियल कैपिटल की सीमा को 200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया है.
इसके पहले जून 2020 में रिजर्व बैंक ने इंटरनल वर्किंग ग्रुप (IWG) का गठन किया था, ताकि वो बैंक की के मालाकिना हक और कॉरपोरेट स्ट्रक्चर पर नियमों को रिव्यू कर सकें.
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