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घर बुक कीजिए लेकिन पहले जान लीजिए कितना दमदार है RERA एक्ट?

RERA घर खरीदने के दौरान आपकी डील सुरक्षित कर पाएगा?

अरुण पांडेय
बिजनेस
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(फोटो: iStock)
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सरकार तो ऐसा भरोसा जता रही है कि अब तय वक्त पर घर की छत गारंटी के साथ मिलेगा. अब आपको अपने फैसले पर कोसने के बजाए रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट को ध्यान से देखना होगा. घर सस्ते होंगे, वक्त पर मिलेंगे.

लेकिन क्या वाकई में ऐसा होगा?

ये तमाम सवाल कानून के अमल में आने के बाद ही सामने आएंगे. लेकिन अभी आपको करना यही है कि आपके अधिकारों वाला जो कानून लागू हुआ है उसमें अपने सारे हक ध्यान से जान लीजिए.

दावा तो है कि मई से लागू हुआ ये कानून घर खरीदारों के दुखों को नाश करने के लिए बड़ा वरदान साबित हो सकता है. सालों साल घर के इंतजार में अब शायद जवानी खराब नहीं होंगी, रियल एस्टेट सेक्टर से भ्रष्टाचार भी कम होगा.

लेकिन इसमें होगा क्या?

रियल एस्टेट सेक्टर हर लिहाज से देश की रीढ़ है. जीडीपी में इसका योगदान 9% है. सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली इंडस्ट्री में एक है. इंडियन ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के मुताबिक अगले 3 साल में भारत का रियल एस्टेट मार्केट 180 अरब डॉलर से अधिक का होगा. अनुमान है कि देश में हर साल 10 लाख लोग घर बुक करते हैं. आवास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक रियल एस्टेट सेक्टर में 76,000 से ज्यादा कंपनियां शामिल हैं. लेकिन ठोस कानून और भ्रष्टाचार की वजह से इन कंपनियों का काबू करने की तमाम कोशिशें असफल रही थी.

नए कानून में आपके हक

इस कानून के तहत सभी राज्यों को 3 महीने के अंदर रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी बनानी होगी. अब तक 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में नया कानून लागू हो भी गया है. इसके अलावा दूसरे 14 अथॉरिटी बनाने की राह पर हैं

  1. नया कानून नए खरीदारों और नए प्रोजेक्ट पर तो लागू होगा ही, साथ ही ऐसे प्रोजेक्ट में भी लागू होगा जो अभी पूरे नहीं हुए हैं
  2. हर राज्य में रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी बनेगी और हर प्रोजेक्ट को इन अथॉरिटी में रजिस्टर कराना होगा, तब काम शुरू होगा. जो डेवलपर्स बगैर रजिस्ट्रेशन काम शुरू करेगा उसे तीन साल की जेल और प्रोजेक्ट की लागत का 10 परसेंट तक जुर्माना लग सकता है
  3. रजिस्ट्रेशन के बाद ही डेवलपर्स और बिल्डर अपने प्रोजेक्ट के बारे में विज्ञापन दे सकेंगे
  4. प्लॉट या अपार्टमेंट बेचने वाले सभी प्रॉपर्टी डीलर्स को भी अथॉरिटी में अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा
  5. अब जानकारी छिपाई तो गए काम से, यानी जो प्रोजेक्ट बनेगा उसकी हर जानकारी यानी प्रोमोटर, नक्शा, जमीन की स्थिति, कब तक पूरा होगा, किस किस विभाग से मंजूरी मिली, सब कुछ खरीदार के सामने रखना होगा, यानी सार्वजनिक करना होगा
  6. अगर बिल्डर या डेवलपर आपसे झगड़ा झंझट करते हैं तो उसका निपटारा अथॉरिटी ही करेगी। यानी खरीदार और डेवलपर्स के बीच जो करार हुआ है, अथॉरिटी उनको तेजी से निपटाने की भूमिका निभाएगी
  7. खरीदार ने जो रकम दी है उसमें आधी रकम एस्क्रो बैंक अकाउंट में रखनी होगी और उसका इस्तेमाल सिर्फ उसी प्रोजेक्ट के निर्माण में होगा
  8. डेवलपर अब अपनी मनमर्जी से बिल्डिंग का प्लान या नक्शा नहीं बदल पाएंगे। इसके लिए उन्हें उस प्रोजेक्ट के दो तिहाई खरीदारों की मंजूरी लेनी होगी
  9. घर मिलने के बाद भी अगर पांच साल तक अगर इमारत के ढांचे में कोई गड़बड़ी आती है तो इसके लिए बिल्डर ही जिम्मेदार होगा
  10. अगर बिल्डर आपको प्रॉपर्टी ट्रांसफर में देरी करता है तो अपीलीय ट्रिब्यूनल दखल देगा और 60 दिन के अंदर बिल्डर पर जुर्माना ठोक देगा
  11. ऐसे प्रोजेक्ट जो पूरे हो गए हैं लेकिन कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है, उन सभी बिल्डरों को 3 माह के अंदर अपने अधूरे प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
  12. ऐसे प्रोजेक्ट जिनके कुछ फ्लैट डेवलपर्स ने बेच दिए हैं, उन्हें बेचने से जुटाई गई रकम की पूरी जानकारी अथॉरिटी को देनी होगी। साथ ही यह भी बताना होगा कि प्रोजेक्ट में कितनी रकम खर्च हुई है और कितनी रकम प्रोमोटर के पास रखी है।
  13. प्रोमोटर को फ्लैट का कारपेट एरिया साफ साफ बताना होगा
  14. ऐसे प्रोजेक्ट जिन पर अभी काम चल रहा है, प्रोमोटर को खरीदारों से ली गई 70 परसेंट रकम अलग बैंक खाते में रखनी होगी
  15. घरों के कब्जे देरी से मिलने पर खरीदार ने जितनी रकम जमा की है उस पर स्टेट बैंक के मौजूदा एमसीएलआर रेट से 2 परसेंट ज्यादा ब्याज मिलेगा। अभी एमसीएलआर 8 परसेंट है। इसलिए खरीदार को 10 परसेंट ब्याज मिलेगा
  16. मुंबई और ठाणे में तो बिल्डरों ने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में रजिस्ट्रेशन शुरू भी कर दिया है

राज्यों की तरफ से ढिलाई

खरीदारों के हक की बात करने वाले एक्टिविस्ट राज्य सरकारों के कदमों को लेकर आशंकित हैं। केंद्र का रियल एस्टेट कानून तो खरीदारों के पक्ष में है. केंद्र का कानून जस का तस केंद्र शासित प्रदेशों और दिल्ली राज्य में लागू हो गया है. इसी तरह बिहार और ओडीशा ने भी केंद्र की तरह सख्त नियम बनाए हैं। लेकिन कई राज्य अपने हिसाब से इसमें बदलाव कर रहे हैं.

जैसे महाराष्ट्र सरकार पर आरोप है कि उसने बिल्डरों के पक्ष में कानून के कई प्रावधानों को कमजोर कर दिया है. महाराष्ट्र में मंजूर प्लान में शब्द बदलकर अंतिम मंजूर प्लान जोड़ दिया गया है. इससे सभी बदलावों को कानूनी दर्जा मिल गया. इसके अलावा कई राज्यों ने तो अभी तक एक्ट लागू करने और अथॉरिटी बनाने की प्रक्रिया ही नहीं शुरू की है.

खरीदारों और डेवलपर्स दोनों का फायदा

रियल एस्टेट कानून लागू होने से खरीदारों को ज्यादा फायदा होगा. घरों के दाम स्थिर होंगे क्योंकि सिर्फ पेशेवर और गंभीर डेवलपर्स ही रियल एस्टेट सेक्टर में कदम रखेंगे.

घरों की डिलिवरी वक्त पर होने की गुंजाइश बनेगी, बिल्डर मनमाफिक दाम नहीं बढ़ा पाएंगे. साथ ही काफी हद तक पारदर्शिता आएगी, फ्लैट का कारपेट साइज साफ साफ पता लगेगा.

लेकिन खतरे भी हैं

जानकारों के मुताबिक रेगुलेटरी एक्ट लागू होने से खरीदारों को फायदा तो जरूर होगा, लेकिन घरों के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है. छोटे बिल्डरों को आशंका है कि एक्ट के कई नियमों का पालन करना उनके लिए मुश्किल होगा, इसलिए बहुत से बिल्डर सेक्टर से बाहर हो जाएंगे ऐसे में सस्ते घरों की बात तो भूल ही जाइए. कई जानकारों ने चेतावनी दी है कि अगर सिर्फ बड़े बिल्डर सिस्टम में रह गए तो वो अपने हिसाब से कीमत तय करेंगे.

कानून के मुताबिक 500 स्क्वैयर मीटर से अधिक के सभी प्रोजेक्ट नए रियल एस्टेट कानून के दायरे में आ जाएंगे.

हालांकि रियल एस्टेट डेवलपर्स की एसोसिएशन क्रेडाई के मुताबिक शॉर्ट कट से सिर्फ पैसा कमाने आने वाले ऑपरेटर सिस्टम से बाहर हो जाएंगे. साथ ही ऐसे खरीदार जो पेमेंट में ढिलाई करते हैं उन पर जुर्माना लगाने का प्रावधान भी है.

तमाम किताबी बातें एक तरफ, कागजों में तो रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में ज्यादातर बातें खरीदार के हक में हैं। लेकिन इसकी तस्वीर इसके प्रैक्टिकल यानी कानून के अमल में आने के बाद ही पता चलेगी.

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