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सरकार तो ऐसा भरोसा जता रही है कि अब तय वक्त पर घर की छत गारंटी के साथ मिलेगा. अब आपको अपने फैसले पर कोसने के बजाए रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट को ध्यान से देखना होगा. घर सस्ते होंगे, वक्त पर मिलेंगे.
लेकिन क्या वाकई में ऐसा होगा?
ये तमाम सवाल कानून के अमल में आने के बाद ही सामने आएंगे. लेकिन अभी आपको करना यही है कि आपके अधिकारों वाला जो कानून लागू हुआ है उसमें अपने सारे हक ध्यान से जान लीजिए.
दावा तो है कि मई से लागू हुआ ये कानून घर खरीदारों के दुखों को नाश करने के लिए बड़ा वरदान साबित हो सकता है. सालों साल घर के इंतजार में अब शायद जवानी खराब नहीं होंगी, रियल एस्टेट सेक्टर से भ्रष्टाचार भी कम होगा.
रियल एस्टेट सेक्टर हर लिहाज से देश की रीढ़ है. जीडीपी में इसका योगदान 9% है. सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली इंडस्ट्री में एक है. इंडियन ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के मुताबिक अगले 3 साल में भारत का रियल एस्टेट मार्केट 180 अरब डॉलर से अधिक का होगा. अनुमान है कि देश में हर साल 10 लाख लोग घर बुक करते हैं. आवास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक रियल एस्टेट सेक्टर में 76,000 से ज्यादा कंपनियां शामिल हैं. लेकिन ठोस कानून और भ्रष्टाचार की वजह से इन कंपनियों का काबू करने की तमाम कोशिशें असफल रही थी.
इस कानून के तहत सभी राज्यों को 3 महीने के अंदर रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी बनानी होगी. अब तक 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में नया कानून लागू हो भी गया है. इसके अलावा दूसरे 14 अथॉरिटी बनाने की राह पर हैं
खरीदारों के हक की बात करने वाले एक्टिविस्ट राज्य सरकारों के कदमों को लेकर आशंकित हैं। केंद्र का रियल एस्टेट कानून तो खरीदारों के पक्ष में है. केंद्र का कानून जस का तस केंद्र शासित प्रदेशों और दिल्ली राज्य में लागू हो गया है. इसी तरह बिहार और ओडीशा ने भी केंद्र की तरह सख्त नियम बनाए हैं। लेकिन कई राज्य अपने हिसाब से इसमें बदलाव कर रहे हैं.
जैसे महाराष्ट्र सरकार पर आरोप है कि उसने बिल्डरों के पक्ष में कानून के कई प्रावधानों को कमजोर कर दिया है. महाराष्ट्र में मंजूर प्लान में शब्द बदलकर अंतिम मंजूर प्लान जोड़ दिया गया है. इससे सभी बदलावों को कानूनी दर्जा मिल गया. इसके अलावा कई राज्यों ने तो अभी तक एक्ट लागू करने और अथॉरिटी बनाने की प्रक्रिया ही नहीं शुरू की है.
रियल एस्टेट कानून लागू होने से खरीदारों को ज्यादा फायदा होगा. घरों के दाम स्थिर होंगे क्योंकि सिर्फ पेशेवर और गंभीर डेवलपर्स ही रियल एस्टेट सेक्टर में कदम रखेंगे.
घरों की डिलिवरी वक्त पर होने की गुंजाइश बनेगी, बिल्डर मनमाफिक दाम नहीं बढ़ा पाएंगे. साथ ही काफी हद तक पारदर्शिता आएगी, फ्लैट का कारपेट साइज साफ साफ पता लगेगा.
जानकारों के मुताबिक रेगुलेटरी एक्ट लागू होने से खरीदारों को फायदा तो जरूर होगा, लेकिन घरों के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है. छोटे बिल्डरों को आशंका है कि एक्ट के कई नियमों का पालन करना उनके लिए मुश्किल होगा, इसलिए बहुत से बिल्डर सेक्टर से बाहर हो जाएंगे ऐसे में सस्ते घरों की बात तो भूल ही जाइए. कई जानकारों ने चेतावनी दी है कि अगर सिर्फ बड़े बिल्डर सिस्टम में रह गए तो वो अपने हिसाब से कीमत तय करेंगे.
कानून के मुताबिक 500 स्क्वैयर मीटर से अधिक के सभी प्रोजेक्ट नए रियल एस्टेट कानून के दायरे में आ जाएंगे.
हालांकि रियल एस्टेट डेवलपर्स की एसोसिएशन क्रेडाई के मुताबिक शॉर्ट कट से सिर्फ पैसा कमाने आने वाले ऑपरेटर सिस्टम से बाहर हो जाएंगे. साथ ही ऐसे खरीदार जो पेमेंट में ढिलाई करते हैं उन पर जुर्माना लगाने का प्रावधान भी है.
तमाम किताबी बातें एक तरफ, कागजों में तो रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में ज्यादातर बातें खरीदार के हक में हैं। लेकिन इसकी तस्वीर इसके प्रैक्टिकल यानी कानून के अमल में आने के बाद ही पता चलेगी.
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