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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) या बैड लोन के आकंड़ों में अंतर पाया है. SBI के बीते वित्त वर्ष के फंसे कर्ज मतलब एनपीए में करीब 12,000 करोड़ रुपये का अंतर पाया गया है. बैंक ने ये जानकारी 10 दिसंबर को दी है. साथ ही बैंक ने प्रोविजनिंग अमाउंट में 12,036 करोड़ रुपए का फर्क आने की भी जानकारी दी है.
एसबीआई ने शेयर बाजारों को भेजी जानकारी में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से किए गए आकलन के मुताबिक:
इस वजह से बैंक को अपने बही-खाते में 12,036 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान करना पड़ता, जिससे अनुमानित घाटा 6,968 करोड़ रुपये रहता.
एसबीआई ने इस साल मई में 2018-19 में 862 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था. इसमें आगे कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में चूक या अपडेट के बाद चालू वित्त वर्ष में सकल एनपीए का शेष प्रभाव 3,143 करोड़ रुपये बैठेगा. तीसरी तिमाही के दौरान प्रावधान का प्रभाव 4,654 करोड़ रुपये बैठेगा.
हाल के महीनों में बैंकों द्वारा अपने डूबे कर्ज को कम कर दिखाने के कई मामले सामने आए हैं, जिसकी वजह से रिजर्व बैंक को कार्रवाई करनी पड़ी है.
एसबीआई ने पिछले महीने एक सर्कुलर में कहा था कि अंतर और प्रावधान के बारे में खुलासा जरूरी होता है. इसका तत्काल खुलासा करने की जरूरत होती है. इसके अलावा, यह इन्फॉर्मेशन वैल्यू के नजरिए से भी संवेदनशील होता है. ऐसे में लिस्टेड यूनिट को तुरंत खुलासा करने की जरूरत होती है.
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