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देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ गिरकर 4.2 परसेंट तक आ सकती है. लगातार ऑटो बिक्री के आंकड़ों में गिरावट, एयर ट्रैफिक मूवमेंट में कमी, कोर सेक्टर ग्रोथ में कमजोरी, कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश में गिरावट जैसे आंकड़े ग्रोथ गिरने का कारण बन सकते हैं. पहली तिमाही में ही भारत की ग्रोथ रेट गिरकर 6 साल के निचले स्तरों 5 परसेंट पर आ चुकी है.
इस रिपोर्ट में बताया गया है बेहद अहम 33 इंडिकेटर्स का जो एक्सलरेशन रेट पहली तिमाही में 65 परसेंट के करीब था वह दूसरी तिमाही में गिरकर 27 परसेंट हो गया है और ये चौंकाने वाला है. फाइनेंशियल ईयर 2019-20 के लिए भी सालाना ग्रोथ रेट का अनुमान 6.1 परसेंट से गिरकर 5 परसेंट पर आ गया है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि इस फाइनेंशियल ईयर को ग्लोबल स्लोडाउन के साथ तुलनात्मक रूप से देखा जाना चाहिए.
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत को झटका देते हुए उसके क्रेडिट रेटिंग को स्टेबल से घटाकर नेगेटिव कर दिया. उसने कहा कि सरकार आर्थिक मोर्चे पर जारी सुस्ती को दूर करने में आंशिक रूप से नाकाम रही है. इसके चलते आर्थिक वृद्धि के नीचे बने रहने का जोखिम बढ़ गया है.
मूडीज ने भारत के लिए लॉन्ग टर्म में लोकल करेंसी जारी करने की रेटिंग तथा विदेशी मुद्रा रेटिंग को Baa2 रखा है. यह निवेश के लिहाज से दूसरा निचला ग्रेड स्कोर है.
घरेलू अर्थव्यवस्था में नरमी बनी हुई है. इसका अंदाजा औद्योगिक उत्पादन के ताजा आंकड़ों से भी लगता है. 12 नवंबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और बिजली क्षेत्रों में उत्पादन में गिरावट के चलते सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन में 4.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. यह आठ साल में सबसे बड़ी गिरावट है.
यह लगातार दूसरा महीना है जब आईआईपी नीचे आया. इसके कारण आईआईपी में अक्टूबर 2011 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है. उस दौरान इसमें 5 प्रतिशत की गिरावट आयी थी.
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