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देश का सबसे बड़ा पब्लिक सेक्टर बैंक SBI आर्थिक संकट झेल रहे यस बैंक की हिस्सेदारी खरीदेगी. सूत्रों के मुताबिक इसकी मंजूरी सरकार ने दे दी है. इसकी घोषणा जल्द ही की जाएगी. हालांकि, SBI और YES बैंक की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
निजी क्षेत्र का यस बैंक डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहा है. बैंक नयी पूंजी जुटाना चाहता है, लेकिन उसकी इस योजना में दिक्कतें आ रही हैं.
यस बैंक अगस्त, 2018 से संकट में है. उस समय रिजर्व बैंक ने बैंक के तत्कालीन प्रमुख राणा कपूर से कामकाज के संचालन और ऋण से जुड़ी खामियों की वजह से 31 जनवरी, 2019 तक पद छोड़ने को कहा था. उनके उत्तराधिकारी रवनीत गिल के तहत बैंक ने दबाव वाली ऐसी संपत्तियों का खुलासा किया है जिनकी जानकारी नहीं दी गई थी. बैंक को मार्च, 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ था.
इन खबरों पर शेयर बाजारों को भेजे स्पष्टीकरण में एसबीआई ने कहा है कि वह सेबी रेगुलेशन के तहत इस बारे में घटनाक्रमों का खुलासा करेगा. बैंक ने कहा, 'हम सेबी (एलओडीआर) रेगुलेशन, 2015 के रेगुलेशन 30 के तहत शेयर बाजारों को किसी घटनाक्रम का खुलासा करने की समयसीमा का पालन करेंगे.'
YES बैंक ने शुरुआत में दो अरब डॉलर की पूंजी जुटाने की योजना बनाई थी. बाद में बैंक के निदेशक मंडल ने कनाडा के निवेशक एसपीजीपी ग्रुप-इर्विन सिंह ब्रायच के 1.2 अरब डॉलर के निवेश के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.
मुंबई मुख्यालय वाले YES बैंक की स्थापना 2004 में हुई थी. जून, 2019 के अंत तक बैंक की पूंजी का आकार 3,71,160 करोड़ रुपये था.
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