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भारतीय रिजर्व बैंक ने 2018 में एक सर्कुलर जारी कर बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार करने से रोक दिया था. इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज और कुछ संस्थान रिजर्व बैंक के इस सर्कुलर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए थे. अब 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट इस पर फैसला सुनाएगा कि बैंक क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी सेवाएं दे सकते हैं या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) और क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज ने रिजर्व बैंक के सर्कुलर के खिलाफ 2018 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. इस सर्कुलर में रिजर्व बैंक ने लिखा था कि रेगुलेशन के दायरे में आने वाले संस्थान क्रिप्टोकरेंसी में किसी भी तरह का कारोबार न करें, न ही इससे जुड़ी को सेवा दें. IAMAI का कहना था कि रिजर्व बैंक ने इस सर्कुलर के जरिए वर्चुअल करेंसी में कामकाज पर ही रोक लगा दी.
6 अप्रैल 2018 के RBI के सर्कुलर के मुताबिक -
सुप्रीम कोर्ट ने बिटकॉइन समेत तमाम वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी से जुड़े रिजर्व बैंक के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था. रिजर्व बैंक के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में 5 याचिकाएं दायर की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने पहले इन सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़कर 20 जुलाई 2019 को सुनवाई करने का आदेश दिया था.
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