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शेयर बाजार में तबाही, सेंसेक्स 4000 प्वाइंट टूटा, 14 लाख Cr स्वाहा

वैभव पलनीटकर
बिजनेस
Published:
हफ्ते के पहले कारोबारी दिन शेयर मार्केट पर फिर कोरोनावायरस का कहर टूट पड़ा.
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हफ्ते के पहले कारोबारी दिन शेयर मार्केट पर फिर कोरोनावायरस का कहर टूट पड़ा.
(फोटो: प्रतीकात्मक)

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कोरोनावायरस का इतना ज्यादा खौफ है कि शेयर बाजार में तबाही मची हुई है. पिछले दिनों गिरावट का इतिहास बना चुके बाजार ने 23 मार्च को फिर से नया रिकॉर्ड बना लिया है. ये बाजार में अब तक के इतिहास की प्वाइंट्स के लिहाज से सबसे बड़ी गिरावट है. सिर्फ एक दिन में निवेशकों के 14 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए हैं.

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स में करीब 4000 प्वाइंट की कमजोरी देखने को मिली. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 1100 प्वाइंट से ज्यादा टूटा. सिर्फ एक दिन में 13 परसेंट की ये बिकवाली बाजार में खौफनाक मंजर की साफ गवाही दे रही है.

23 मार्च को बाजार में शुरुआत ही बेहद खराब रही. बाजार खुलते ही 10 परसेंट टूट गया है और बाजार में लोअर सर्किट लग गया. इसके बाद ट्रेडिंग को हॉल्ट करना पड़ा. फिर से जब ट्रेडिंग शुरू हुई तो बाजार में बिकवाली ही बढ़ती गई और कोई रिकवरी नहीं हुई.

अब बाजार 2016 के बाद अपने निचले स्तरों पर कारोबार कर रहे हैं. मतलब बाजार ने 2016 के बाद से अब तक जो भी बढ़त बनाई थी सब पानी हो गई है. जिस किसी भी सेक्टर पर नजर डाले तस्वीर लाल ही लाल है.

एक महीने में एक तिहाई टूटा बाजार

चलिए आपको एक महीने पीछे लिए चलते हैं. ठीक एक महीने पहले सेंसेक्स 4100 के स्तरों के पार कारोबार कर रहा था लेकिन अब ये अब करीब 15000 प्वाइंट लुढ़ककर 26000 के आसपास आ गया है. वहीं निफ्टी करीब 13000 के स्तरों पर था जो अब 7500 के आसपास आ गया है. सिर्फ एक महीने में बाजार एक तिहाई से ज्यादा टूट चुका है. सबसे ज्यादा बुरा हाल बैंकिंग शेयरों का हुआ है. बैंकिंग शेयरों का प्रतिनिधित्व करने वाला इंडेक्स बैंक निफ्टी करीब 50% टूट चुका है.

थम गई इकनॉमिक एक्टिविटी

कोरोनावायरस का आगे क्या होगा, दवाई बनेगी या नहीं, कब तक बनेगी किसी के पास भी इन सवालों का जवाब नहीं है. लेकिन कोरोनावायरस की वजह से जो मौजूदा स्थिति बनी है उसकी वजह से पूरे देश की इकनॉमिक एक्टिविटी एक झटके में थम गई है. कर्मचारी काम नहीं कर सकते, कारोबारी कारोबार नहीं कर सकते. ऐसी स्थिति में पूरी की पूरी इकनॉमी के भविष्य पर ही संकट के कालेबादल मंडरा रहे हैं.

रिकॉर्ड निचले स्तरों पर रुपया

डॉलर के मुकाबले रुपया की भी हालत बदतर है. आज रुपया अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया. डॉलर के मुकाबले रुपया 76 के स्तरों को पार कर गया. और ये चौंकाने वाला इसलिए क्यों कि भारत का फॉरेक्स रिजर्व रिकॉर्ड स्तरों पर है और क्रूड के दाम भी काफी कम हैं. लेकिन रुपया है कि टूटा जा रहा है. RBI ने कुछ राहतभरे कदम उठाते हुए बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए, जिससे लोगों के हाथ में पैसा आए. एक्सपर्ट्स का मानना है कि 3 अप्रैल को होने वाले रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी में कम से कम 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती होनी चाहिए.

अब सरकार को एक्शन में आना चाहिए!

एक तो भारत पहले से ही मंदी की गिरफ्त में था अब ये ऊपर से कोरोनावायरस का प्रकोप. अब जरूरत है कि भारत सरकार इकनॉमी के लिहाज से जरूरी कदम उठाए. अब वक्त हिसाब किताब देखने का कम है और बड़े संकट से निपटना है तो कदम भी बड़े उठाने होंगे. टैक्स में भरपूर छूट दी जाएं, कर्ज सस्ता किया जाए ताकि लोगों को  हाथ में पैसा आए. क्यों कि जैसे ही कोरोनावायरस का ये संकट जाए तो बाजार में शानदार डिमांड हो जिससे प्रोडक्शन एक्टिविटी बूस्ट हो.

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