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शिविंदर सिंह ने अपने भाई मलविंदर सिंह और पूर्व सहयोगी सुनील गोधवानी पर मुकदमा ठोक दिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि इन लोगों ने मिसमैनेजमेंट से रेलिगेयर, फोर्टिस और आरएचसी होल्डिंग को बर्बाद कर दिया.
दोनों भाई, मलविंदर और शिविंदर फार्मा कंपनी रैनबैक्सी के मालिक थे. इस कंपनी की स्थापना उनके पिता ने की थी. दोनों भाइयों ने बाद में ये कंपनी जापानी फार्मा डाइची सैंको को बेच दी थी, लेकिन सही जानकारी नहीं देने का आरोप में दोनों अभी भी मुकदमे झेल रहे हैं.
दोनों भाइयों ने बाद में हॉस्पीटल चेन, फोर्टिस हेल्थकेयर और फाइनेंशियल कंपनी रेलिगेयर एंटरप्राइज पर पूरा ध्यान लगा दिया. लेकिन दोनों कंपनियां गंभीर वित्तीय संकट में फंसने से भाइयों को दोनों कंपनियों से हाथ धोना पड़ा.
फोर्टिस को मलेशिया की आईएचएच हेल्थकेयर बीएचडी ने खरीद लिया, जबकि रेलिगेयर पर कई शेयरहोल्डर्स का कब्जा है. इसके अलावा दोनों कंपनियों के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों की जांच भी चल रही है. सिंह भाइयों के आध्यात्मिक गुरु गुरिंदर सिंह ढिल्लों के ऊपर भी इस मामले में उंगली उठी हैं.
शिविंदर सिंह ने एक बयान में कहा कि उनके भाई और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील गोधवानी की वजह से ग्रुप कंपनियों और शेयरधारकों को भारी नुकसान हुआ है. शिविंदर ने फोर्टिस का कामधाम छोड़कर आध्यत्मिक गुरु राधा स्वामी सत्संग ब्यास में पूरा वक्त देने के फैसले का जिक्र किया.
उन्होंने डाइची केस और प्राइवेट चार्टर बिजनेस खरीदने का भी जिक्र किया जिसकी वजह से बिजनेस में बुरा असर पड़ा. शिविंदर ने कहा तमाम दिक्कतों के बावजूद परिवार की प्रतिष्ठा की वजह से वो इस सब बातों पर चुप रहे. लेकिन अब चुप नहीं रह सकते.
शिविंदर ने इस विवाद में आध्यत्मिक गुरु का नाम खींचे जाने पर भी ऐतराज जताया. उन्होंने कहा कि गुरुजी उनके पिता समान हैं. उनके बयान से साफ है कि उन्होंने अपने भाई मलविंदर और सुनील गोधवानी से रिश्ते तोड़ लिए हैं. शिविंदर ने कहा वो अलग रास्ते पर चलेंगे.
ब्लूमबर्ग क्विंट के मुताबिक मलविंदर सिंह और गोधवानी ने इन आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया.
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