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अपना घर का सच होगा सपना, क्‍योंकि होम लोन सस्‍ता हो रहा है

आपके होम लोन पर ब्याज दर कम होगी या नहीं और क्या आपको अपना लोन बेस रेट से एमसीएलआर में स्विच कर लेना चाहिए?

क्‍व‍िंट कंज्यूमर डेस्‍क
बिजनेस
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एक बार फिर कर्ज सस्ता होने का दौर शुरू हो गया है. देश के तमाम छोटे-बड़े बैंक एक-एक करके अपने लोन पर ब्याज दरों को कम करने का एेलान करने लगे हैं. वैसे तो इस एेलान के बाद हर तरह के लोन- मसलन होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन या बिजनेस लोन सस्ते होंगे, लेकिन मिडिल क्लास के लिए सबसे ज्यादा अहमियत रखता है होम लोन.

बैंकों ने अपने बेंचमार्क दर में 70 से 90 बेसिस प्वॉइंट की कटौती का ऐलान किया है. एक बेसिस प्वॉइंट एक परसेंट का सौवां हिस्सा होता है. यानी 70 से 90 बेसिस प्वॉइंट का मतलब है 0.70 से 0.90 फीसदी की कटौती.

अप्रैल 2016 से सभी बैंकों की बेचमार्क दरें एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट के आधार पर तय होती हैं. इसके पहले बैंकों के लोन की दरें बेस रेट पर तय की जाती थीं. अगर आपने 1 अप्रैल 2016 के पहले लोन लिया है, तो आपका लोन बेस रेट के आधार पर होगा.

एमसीएलआर बनाम बेस रेट

आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि एमसीएलआर और बेस रेट में अंतर क्या है, आपके होम लोन पर ब्याज दर कम होगी या नहीं और क्या आपको अपना लोन बेस रेट से एमसीएलआर में स्विच कर लेना चाहिए. हम आपको एक-एक कर सवालों के जवाब देते हैं. सबसे पहले आपको ये जानना जरूरी है कि आखिर एमसीएलआर और बेस रेट में क्या अंतर है.

एमसीएलआर का मतलब है मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ट लेंडिंग रेट. एमसीएलआर तय करने के लिए बैंक इन तथ्यों को ध्यान में रखते हैं:

  • ऑपरेटिंग खर्च
  • सीआरआर मेंटनेंस खर्च
  • सेविंग्स/करेंट/टर्म डिपॉजिट अकाउंट पर दिया जाने वाला ब्याज
  • रेपो रेट
  • नेटवर्थ पर रिटर्न
  • टेन्योर प्रीमियम

जबकि बेस रेट तय करने के लिए जिन चीजों को ध्यान में रखा जाता था, वो हैं

  • ऑपरेटिंग खर्च
  • सीआरआर मेंटनेंस खर्च
  • सेविंग्स/करेंट/टर्म डिपॉजिट अकाउंट पर दिया जाने वाला ब्याज
  • मार्जिन

साफ है कि एमसीएलआर बैंकों के कर्ज की लागत और उनके नेटवर्थ पर रिटर्न को ध्यान में रखकर निकाला जाता है. इसकी गणना में रेपो रेट में हुए बदलाव और टेन्योर प्रीमियम को भी ध्यान में रखा जाता है.

जबकि बेस रेट की गणना में रेपो रेट में बदलाव और टेन्योर प्रीमियम का ख्याल नहीं रखा जाता था. नतीजा ये कि एमसीएलआर में हर महीने बदलाव आता है और हर बैंक के एमसीएलआर अलग-अलग हो सकते हैं.

आपका होम लोन सस्ता होगा या नहीं

अगर आप 1 जनवरी 2017 के बाद होम लोन ले रहे हैं, तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. आपको नई ब्याज दरों के मुताबिक ही होम लोन मिलेगा. लेकिन अगर आपका लोन इसके पहले का है, तो ये ध्यान रखिए कि बैंक के एमसीएलआर में कटौती भर से आपका होम लोन सस्ता नहीं होगा.

(फोटो: iStock)

अगर आपने 1 अप्रैल 2016 के बाद होम लोन लिया है, तो आपका लोन एमसीएलआर पर आधारित होगा तो जरूर, लेकिन इस सिस्टम में लोन की ब्याज दरें हर 6 महीने या सालभर बाद अपने आप रिसेट होती हैं. तो फिर आपको इसके लिए 6 महीने या साल भर की अवधि बीतने का इंतजार करना होगा. मिसाल के लिए अगर आपने मई 2016 में होम लोन लिया है और रिसेट पीरियड 12 महीने है, तो आपके लोन पर नई ब्याज दर मई 2017 में ही लागू होगी, उसके पहले नहीं.

लेकिन अगर आपका लोन पुराने बेस रेट सिस्टम का है, तो आपको अपने बैंक से कहना होगा कि वो आपके लोन अकाउंट को बेस रेट से एमसीएलआर में स्विच कर दे. इसके लिए आपको बैंक को स्विचिंग चार्ज देने होंगे, जो आपके लोन की रकम के 0.5% तक हो सकता है.

अब सवाल उठता है कि बैंकों ने 0.9% तक की जो कटौती की है, उसका कितना फायदा होम लोन कंज्यूमर तक पहुंचेगा. अमूमन बैंक बेंचमार्क दर में हुई पूरी कटौती होम लोन की दर में नहीं देते, वो लोन की दर पर स्प्रेड बढ़ा देते हैं. स्प्रेड वो मार्जिन होता है जो आप एमसीएलआर से ज्यादा बैंकों को देते हैं.

मिसाल के लिए एसबीआई ने 1 साल के एमसीएलआर में 90 बेसिस प्वॉइंट की कमी की है, लेकिन होम लोन पर स्प्रेड 20-25 बेसिस प्वॉइंट से बढ़ाकर 60-65 बेसिस प्वॉइंट कर दिया है. नतीजतन, होम लोन की दरों में वास्तविक कमी अधिकतम 0.5% की आई है.
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एसबीआई के होम लोन की न्यूनतम दर है 8.6% , जो महिला कंज्यूमरों को दी जाएगी. बाकी ग्राहकों के लिए होम लोन की न्यूनतम दर 8.65% है. लेकिन हम यहां आपके सामने जो कैलकुलेशन पेश कर रहे हैं, वो हमने नई ब्याज दर को 8.6% और पुरानी ब्याज दर को 9.1% मानकर किया है.

तो अगर आपके पास 20 लाख से 50 लाख रुपए तक के होम लोन हैं, जिनकी अवधि 25 साल है, तो आपकी बचत इस प्रकार होगी-

लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपकी ईएमआई न बदले, बल्कि लोन चुकाने की आपकी अवधि कम हो जाए, तो उसका कैलकुलेशन भी हमने आपके लिए किया है. यहां हमने लोन की रकम 50 लाख ली है. तो आपकी कितनी ईएमआई कम हो जाएगी, ये नीचे के ग्राफिक्स से साफ हो जाएगा.

क्या आपको अपना लोन बेस रेट से एमसीएलआर में स्विच करना चाहिए

ये फैसला लेने से पहले आपको 4 चीजें ध्यान में रखनी होंगी- ट्रांसफर या स्विचिंग चार्ज, लोन की बची हुई रकम, बची हुई अवधि और ब्याज दरों में अंतर. अगर आपके लोन की बची हुई रकम कम है या लोन मेच्योर होने में एकाध साल ही बचे हैं, तो स्विचिंग से कुछ फायदा नहीं होगा, क्योंकि स्विचिंग चार्ज आपकी बचत को खा जाएगा. सामान्य तौर पर अगर अंतर 1% या उसके आसपास हो और लोन की रकम का छोटा हिस्सा ही चुकाया गया हो तो स्विच करना बेहतर होता है.

जैसा हमने बताया है कि अगर आपका 50 लाख रुपये का लोन है तो 25 साल की अवधि में आपको 37 ईएमआई कम देनी होगी, जो बचत 15 लाख रुपये से ज्यादा की है. वहीं 20 साल की अवधि में आपको 21 ईएमआई कम देनी होगी, जो बचत 9 लाख रुपये से ज्यादा की है. साफ है कि ईएमआई की रकम में कटौती की बजाय अगर आप ईएमआई की अवधि में कटौती करेंगे, तो आपको ज्यादा बड़ा फायदा होगा.

पते की एक और बात

वो लोग जिनके एमसीएलआर पर आधारित होम लोन की एक साल की अवधि पूरी नहीं हुई है, उनके लिए इंतजार करने में कोई नुकसान नहीं है, क्योंकि गिरती हुई ब्याज दरों के माहौल में कुछ महीने बाद ही सही, एमसीएलआर का फायदा आपको जरूर मिलेगा. और वो लोग, जिन्होंने बेस रेट पर होम लोन लिया है, उनके लिए शायद एक तिमाही का इंतजार एमसीएलआर सिस्टम में स्विच करने के लिए बेहतर होगा, क्योंकि ब्याज दरों में एक और कटौती उन्हें दिख सकती है.

याद रखें कि एक बार एमसीएलआर सिस्टम में स्विच कर गए, तो ब्याज दर रिसेट करने का मौका 6 महीने या साल भर बाद ही मिलेगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 04 Jan 2017,01:43 PM IST

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