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कम जोखिम में ज्यादा कमाई करनी है,तो म्‍यूचुअल फंड सही है, लेकिन...

शेयर बाजार में डायरेक्ट या इनडायरेक्ट निवेश किया है, तो बाजार के गिरने पर घबराहट होती होगी पर डरने का नहीं

धीरज कुमार अग्रवाल
बिजनेस
Updated:
शेयर बाजार में जोखिम होता है इसलिए मिनिमम कमाई की गारंटी नहीं.
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शेयर बाजार में जोखिम होता है इसलिए मिनिमम कमाई की गारंटी नहीं.
(फोटो: iStock)

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पैसे कमाने और बढ़ाने हैं, तो एक बार फिर साबित हो गया है कि म्यूचुअल फंड में एसआईपी सबसे अच्छा और कम जोखिम वाला नुस्खा है. सेंसेक्स और निफ्टी ने पिछले एक साल में 12 से 15 परसेंट ही रिटर्न दिया है, लेकिन टॉप 5 म्यूचुअल फंड की कमाई 18 से 25 परसेंट के बीच रही है. इसलिए अब कमाई बढ़ाने के लिए जरूरी है कि एसआईपी के बारे में जान लीजिए.

आपने शेयर बाजार में डायरेक्ट या इनडायरेक्ट निवेश किया है, तो बाजार के गिरने पर घबराहट होती होगी, पर डरने की कोई जरूरत नहीं. शेयर बाजार के चढ़ने पर लगता होगा कि काश थोड़ा और पैसा पहले लगाया होता, पर पछताने की कोई बात नहीं. बस अपनी सहूलियत के मुताबिक रकम नियमित तौर पर एसआईपी के जरिए लगाते जाइए.

हालांकि ये याद रखिए कि शेयर बाजार में जोखिम होता है, इसलिए मिनिमम कमाई की गारंटी नहीं. जैसे बीएसई स्मॉल कैप और मिडकैप ने पिछले सालभर में कोई रिटर्न नहीं दिया है. ध्यान रखिए आपके पैसे को बढ़ने के लिए उसी तरह वक्त की जरूरत होती है, जैसे किसी बीज को पेड़ बनने के लिए.

इंडेक्स से ज्यादा रिटर्न म्‍यूचुअल फंड में

एक साल में यानी 18 जुलाई 2017 से 18 जुलाई 2018 के बीच शेयर बाजार में चुनिंदा दिग्गज शेयरों ने तो कमाई की है, पर छोटे और मझोले शेयरों के इंडेक्स में कोई कमाई हाथ नहीं लगी है.

(फोटो: क्विंट हिंदी)

हालांकि जुलाई से जनवरी 2018 के बीच इन दोनों ही इंडेक्स ने 20-20 फीसदी का उछाल देखा था, लेकिन जनवरी के बाद से शेयर बाजार में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की पिटाई ज्यादा हुई है, और ये साल भर पहले के स्तर पर पहुंच गए हैं.

म्‍यूचुअल फंड की शानदार कमाई

जुलाई 2017 से जुलाई 2018 के बीच इक्विटी म्‍यूचुअल फंड स्कीमों ने सेंसेक्स और निफ्टी से ज्यादा कमाई कराई है. टॉप 7 इक्विटी म्‍यूचुअल फंड स्कीमों ने 18 परसेंट से 25 परसेंट के बीच कमाई कराई है.

(फोटो: क्विंट हिंदी)
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अच्छी म्‍यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश का यही फायदा है कि शेयर बाजार में कितना भी उतार-चढ़ाव हो, आपका पैसा काम करता रहता है. हां, रफ्तार धीमी या तेज हो सकती है. अगर आप एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं, तो आपको शेयर बाजार की उठापटक का झटका और कम लगेगा.

दौलत बढ़ाना अगर मकसद है, तो लंबी अवधि के निवेशकों को हर हालात में एसआईपी जारी रखनी चाहिए. जब कीमतें नीचे जाती हैं, तो एसआईपी के जरिए आप ज्यादा फंड यूनिट खरीदते हैं. तो अगर आप इस तरीके से निवेश करते हैं, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है.

लेकिन अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो की सेहत दुरुस्त रखने के लिए कुछ बातों का खयाल जरूर रखें.

  1. पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करें- लार्ज कैप स्कीम पर फोकस करें पर पोर्टफोलियो में एक-दो मल्टीकैप फंड और डेट फंड जरूर रखें.
  2. डायरेक्ट प्लान खरीदें- म्‍यूचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट पर जाकर आप सीधे किसी स्कीम में निवेश कर सकते हैं. इसमें आपको किसी ब्रोकर या एजेंट को कमीशन नहीं देना पड़ता
  3. डायरेक्ट प्लान की लागत रेश्यो भी कम होता है. इससे उस स्कीम के रेगुलर प्लान की तुलना में रिटर्न ज्यादा हो जाता है.
  4. नियमित तौर पर पोर्टफोलियो की समीक्षा करें
  5. जरूरत पड़ने पर आप स्कीम बदलने का फैसला भी कर सकते हैं. जो कम रिटर्न दें उन्हें बाहर का रास्ता दिखाइए
  6. ये भी देखें कि क्या किसी एसेट क्लास (इक्विटी या डेट) में आपका निवेश सीमा से ज्यादा तो नहीं हो गया.
  7. लक्ष्य और एसेट एलोकेशन स्ट्रैटजी के मुताबिक निवेश में बदलाव लाएं.

टिप्स मिल गई हैं, अब देर मत कीजिए एसआईपी में निवेश कीजिए. बस एक बात ध्यान में रखिए निवेश करते वक्त हर स्कीम के बारे में पूरी तहकीकात कर लीजिए. जरूरत लगे, तो निवेश सलाहकार की मदद भी ले लीजिए.

(धीरज कुमार अग्रवाल जाने-माने जर्नलिस्‍ट हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)

ये भी पढ़ें- म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने से पहले ये 5 बातें जरूर जान लें

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Published: 19 Jul 2018,07:54 PM IST

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