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वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) 24 अप्रैल को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा और यह 28 अप्रैल को यानी अक्षय तृतीया से एक दिन पहले बंद होगा.
अक्षय तृतीया पर गोल्ड की खरीदारी शुभ मानी जाती है. आने वाले बॉण्ड्स का इश्यू प्राइस 2,901 रुपये प्रति ग्राम है, जबकि सब्सक्रिप्शन वाले 17-21 अप्रैल से पिछले हफ्ते में 999 प्योरिटी वाले गोल्ड की औसत कीमत 2,951 रुपये प्रति ग्राम थी. यह प्राइस इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन पब्लिश करती है. सॉवरेन वेल्थ बॉन्ड इससे 50 रुपये कम कीमत पर ऑफर किया जाएगा.
इस बॉन्ड का मेच्योरिटी पीरियड 8 साल का है. इससे 5वें साल के बाद निकलने की इजाजत होगी. गोल्ड बॉन्ड्स को एनएसई और बीएसई पर लिस्ट कराना अनिवार्य होता है. ऐसे में जरूरत पड़ने पर आप एक्सचेंज पर इन्हें बेच सकते हैं.
एसजीबी स्कीम की बड़ी खूबी यह है कि इसमें 2.5 पर्सेंट का सालाना ब्याज मिलता है. वहीं, फिजिकल गोल्ड से इनवेस्टर को फाइनेंशियल रिटर्न नहीं मिलता. निवेश पर एक्स्ट्रा रिटर्न के अलावा इन बॉन्ड्स को भारत सरकार की गारंटी मिली हुई है. इन पर कोई फंड मैनेजमेंट फी या ब्रोकरेज चार्ज भी नहीं लगता.
हालांकि, अगर भुनाने के वक्त बॉण्ड की कीमत इश्यू प्राइस से अधिक हो, तो इसे कैपिटल गेंस माना जाएगा. एसजीबी को गिरवी रखकर लोन भी लिया जा सकता है.
सरकार दावा करती आई है कि एसजीबी को इनवेस्टर्स से अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. हालांकि अब तक इसमें निवेशकों ने बहुत अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाई है. अब तक 6,000 करोड़ रुपये के 20,000 किलो यानी 20 टन से कम के गोल्ड बॉण्ड इश्यू किए गए हैं. हर साल जितना गोल्ड आयात किया जाता है, उसकी तुलना में यह बहुत कम है.
रिटेल बायर्स का फिजिकल गोल्ड से भावनात्मक रिश्ता होता है, क्योंकि यह न सिर्फ इनवेस्टमेंट, बल्कि कंजम्पशन एसेट भी है. जरूरत पड़ने पर लोग इसे ज्वेलर के पास बेचकर कैश हासिल करते हैं.
2017-18 में आने वाले सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम की सफलता की क्या संभावना है? पहली बात तो यह है कि नवंबर 2016 की नोटबंदी के बाद लोगों के घरों में सरप्लस कैश नहीं रह गया है. उससे बड़ी बात यह है कि अगले पांच से आठ साल में गोल्ड की कीमत क्या होगी? कहने का मतलब यह है कि क्या एसजीबी बायर्स को बॉन्ड भुनाने के वक्त कैपिटल गेंस होगा या तब दाम इश्यू प्राइस से कम रहेंगे और इससे इस पर मिलने वाले ब्याज के बावजूद उन्हें घाटा होगा?
इसलिए एसजीबी इनवेस्टर जानना चाहते हैं कि अगले पांच से आठ साल में गोल्ड की कीमत क्या होगी?
हालांकि तेज इकनॉमिक ग्रोथ, लोगों की बढ़ती आमदनी और आबादी के ऐज प्रोफाइल, बेहतर लाइफस्टाइल की चाहत और कई इनवेस्टमेंट ऑप्शंस होने से निवेश के लिए गोल्ड की खरीदारी में धीरे-धीरे कमी आ सकती है.
अगर भारत की ग्रोथ तेज होती है, तो डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव अगले पांच से आठ साल में 50-55 के लेवल पर आ सकता है. वहीं इंटरनेशनल मार्केट में बेहतर टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से गोल्ड माइनिंग की लागत कम हो रही है. इससे इसकी कीमत पर दबाव बन सकता है और सोना 1,000 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ सकता है. ऐसे में आगे चलकर गोल्ड के दाम में बड़ी गिरावट आ सकती है. एसजीबी इनवेस्टर के लिए सही समय पर निकलना बहुत जरूरी होगा.
(जी चंद्रशेखर इंडिपेंडेंट पॉलिसी कमेंटेटर और कमोडिटीज मार्केट स्पेशलिस्ट हैं. यहां उनके अपने विचार हैं. आलेख के विचारों में क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है. उनसे gchandrashekhar@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)
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