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फिल्म थ्री इडियट्स का फरहान कुरैशी तो आपको याद होगा. अपने मेकेनिकल इंजीनियरिंग कोर्स में घुटता हुआ फरहान, जिसे फोटोग्राफी से लगाव था और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर बनना चाहता था. देश के तमाम इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज और दफ्तरों में ऐसे कई फरहान कुरैशी हैं, जो खुद को गलत कोर्स या गलत जॉब में फंसा हुआ पाते हैं.
ऐसे में या तो वो बिना पैशन अपने मौजूदा प्रोफेशन को जारी रखते हैं या फिर बाद में अपने पैशन को ही प्रोफेशन बना लेते हैं.
अगर आप भी प्रोफेशन चेंज करना चाहते हैं, तो हड़बड़ी में फैसला करने से पहले जानिए कि अपना प्रोफेशन बदलकर कुछ अलग कर रहे ये प्रोफेशनल क्या कहते हैं-
आईआईटी कानपुर से MSc (Integrated) इकनॉमिक्स की पढ़ाई कर चुके पटना के भास्कर सिंह जब 2012 में पासआउट होने वाले थे, तब वो कॉलेज के प्लेसमेंट में नहीं बैठे. भास्कर ने कॉलेज के दौरान ही मन बना लिया था कि उन्हें सोशल सेक्टर में एंटरप्रेन्योर बनना है.
लेकिन ये नहीं पता था कि ये शुरुआत होगी कैसे. उन्होंने पहले एक एनजीओ में काम किया. कुछ दिनों बाद वो दिल्ली की एक राजनीतिक पार्टी से बतौर सोशल एक्टिविस्ट जुड़े, कई कैंपेन चलाया और बाद में जनता का मूड नाम से सर्वे और पॉलिटिकल रिसर्च कंपनी शुरू की.
सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन साल 2015 बिहार चुनाव में भास्कर की कंपनी ने एक नेशनल न्यूज चैनल के साथ मिलकर सर्वे किया, जो सही साबित नहीं हुआ और नतीजों से काफी अलग था.
भास्कर बताते हैं कि ऐसे में उनके दोस्तों ने उनका भरपूर सहयोग किया. जो दोस्त जिस सेक्टर में था, वहां से उन्हें कुछ न कुछ मदद जरूर मिली. आज भास्कर की कंपनी अच्छा कर रही है और उन्हें उम्मीद है कि आगे और अच्छा करेगी.
2012 में इंजीनियरिंग पास कर चुकी पल्लवी सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. कॉलेज के 2 साल के दौरान ही उन्हें एहसास हो गया था कि इस प्रोफेशन में वो ज्यादा खुश नहीं रहने वाली हैं.
पासआउट होने के बाद उन्होंने सेलिब्रिटीज और फॉरेनर्स को हिंदी सिखाने का एक अलग-सा प्रोफेशन चुना और कंपनी बनाई-पल्लवी लिंग्विस्टिक्स सर्विसेज.
पल्लवी कहती हैं कि जो काम पसंद आए, वही करना चाहिए, लेकिन उसके लिए प्लानिंग जरूरी है. पल्लवी का मानना है कि जब आपको पता हो कि प्रोफेशन चेंज करना है, तो उसकी फाइनेंशियल तैयारी भी पहले से ही शुरू कर देनी चाहिए.
2012 में एमसीए (Master of Computer Application) पासआउट श्वेता की कहानी भी बिलकुल जुदा है. श्वेता ने अपना करियर बतौर टेक्निकल राइटर शुरू किया था. अब उन्होंने न्यूमरोलॉजी और एस्ट्रोलॉजी को बतौर करियर शुरू किया. श्वेता का मानना है कि आपको वही चीज करनी चाहिए, जिसमें आप सेटिसफेक्शन फील करते हैं.
श्वेता ने अपनी खुद की कंपनी शुरू की है और प्रोफेशनल तरीके से अपना काम कर रही हैं. श्वेता का कहना है कि आप चाहे जिस प्रोफेशन में हों, आपका कोर्स और पढ़ाई हमेशा आपके काम आते हैं.
ऐसे में ये प्रोफेशनल्स तो अपने नए प्रोफेशन से सेटिसफाइड और खुश हैं. लेकिन अगर आप एक नाव छोड़कर दूसरी नाव पर सवार होना चाहते हैं, तो इन लोगों की सलाह पर एक बार तो जरूर गौर करें.
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