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लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एएम नाइक के इकोनॉमी पर अपनी चिंताओं को सार्वजनिक करने के बाद अब एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने भी कहा है कि इकनॉमी संकट के दौर से गुजर रही है.उन्होंने इकनॉमी में स्लोडाउन की अहम वजह नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और बैंकों में लिक्विडिटी में कमी को बताया है. मतलब इन संस्थानों के पास कर्ज देने के लिए पूंजी नहीं है और यही इकनॉमी में धीमेपन की वजह है.
एचडीएफसी की एनुअल जनरल मीटिंग यानि एजीएम में दीपक पारेख ने कहा कि इकनॉमी में स्लोडाउन की वजह बाजार में लिक्विडिटी का न होना है. दरअसल ज्यादातर बड़ी हाउसिंग फाइनेंस और नॉन बैंकिंग हाउसिंह फाइनेंस कंपनियां कर्ज देने से झिझक रही हैं. कर्ज न मिलने की वजह से कई सारे सेक्टर की कंपनियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.
दीपक पारेख के मुताबिक ‘इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है कि देनदारों के विश्वास को बहाल किया जाए. इसी से हालात सुधरेंगे. अभी बैंक कर्ज देने में हिचक रहे हैं. कुछ ही चुनिंदा लोगों को फंडिग मिल पा रही है.’ हालांकि दीपक पारेख ने उम्मीद जताई है कि त्योहारों का मौसम पास आते-आते हालात बेहतर होंगे.
इसके पहले इंफ्रा और ऑटो सेक्टर की नामी गिरामी कंपनी लार्सन एंड टुर्बो के चेयरमैन एएम नाइक ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत पर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि हम 6.5 परसेंट की जीडीपी ग्रोथ भी हासिल कर लें तो भाग्यशाली होंगे. उन्होंने इस आर्थिक मंदी के समाधान के तौर पर कहा कि अटके हुए प्रोजेक्ट को वैसे हल किया जाना चाहिए, जैसे नरेंद्र मोदी बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री किया करते थे.
पिछले दिनों ऑटो सेक्टर की टॉप कंपनियों में शुमार बजाज ऑटो के चेयरमैन राहुल बजाज ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर निशाना साधा था. इसके साथ ही उन्होंने ऑटो इंडस्ट्री के बिगड़ते हालात पर भी चिंता जाहिर की. बजाज ऑटो की सालाना आम बैठक में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए राहुल बजाज ने कहा कि मुश्किल हालातों से गुजर रहे ऑटो सेक्टर के लिए क्या विकास आसमान से गिरेगा? ''सरकार कहे या न कहे लेकिन आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन-चार सालों में विकास में कमी आई है. दूसरी सरकारों की तरह वे अपना हंसता हुआ चेहरा दिखाना चाहते हैं, लेकिन सच्चाई यही है."
दो दिन पहले देश के जाने-माने उद्योगपति टी वी मोहनदास पई ने द क्विंट से कहा था कि आज टैक्स टेररिज्म से देश का कॉरपोरेट वर्ल्ड डरा हुआ है. कॉफी कैफे डे के फाउंडर की मौत के बाद उन्होंने कहा था कि भारत को 2050 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी बनना है. लोगों को निवेश करना है. काफी काम करना है. बिजनेस को आगे बढ़ना है. लेकिन आज सरकार की नीतियों की वजह से इकनॉमी में स्लोडाउन का खतरा पैदा हो गए हैं. बिजनेसमैन में टैक्स टेरर है. वे कारोबार करने से डर रहे हैं
इंड एशिया फंड एडवाइजर प्रदीप शाह ने भी इकनॉमी की खराब होती हालत पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि पहली तिमाही के कॉरपोरेट नतीजों से साफ है कि ग्रोथ में स्लोडाउन है. उन्होंने कहा सरकार को बिजनेस आसान बनाने में आने वाली अड़चनों को दूर करना होगा. उनका यह भी कहना था कि आरबीआई की मौद्रिक नीति का इकनॉमी के ताजा हालत से कोई तालमेल नहीं है. ऊपर से मानसून की बारिश ने स्थिति और खराब कर दी है.
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