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1 जुलाई से देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू होने जा रहा है. ऐसे में देश के कई बड़े वकीलों का मानना है कि GST आने के बाद कोर्ट केस में बढ़ोतरी होगी.
इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है GST का जटिल ढांचा. नए टैक्स सिस्टम में टैक्स ब्रैकेट से लेकर कंपनियों के रेवेन्यू तक, कई मामलों में पेच फंस सकता है, नतीजा होगा कोर्ट केस.
अब देश के लीगल सिस्टम की भी हालत जान लीजिए. वकीलों के मुताबिक, देश में अभी 2.40 लाख केस कोर्ट में पेंडिंग हैं.
इन मामलों में देश का करीब 23 अरब डॉलर फंसा हुआ है. अब GST आने के बाद वकील आशंका जता रहे हैं कि मुकदमों की संख्या और भी बढ़ जाएगी.
GST के ढांचे की बात करें, तो दावा किया गया था कि पूरे देश में एक जैसा टैक्स लगेगा. लेकिन टैक्स की दरें 6 हो गई हैं.
वकीलों के मुताबिक, अब कई टैक्स दरों, अलग-अलग लेवी और राज्य बनाम केंद्र सरकार के विवादों के कारण मुकदमेबाजी की संभावनाएं बनती हैं.
ब्लूमबर्ग क्विंट से बात करते हुए बीएमआर लीगल के मैनेजिंग पार्टनर मुकेश बुटानी ने कहा:
सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वरिष्ठ वकील अरविंद दातर कहते हैं, ''मौजूदा GST दुनिया में सबसे जटिल है.'' नए टैक्स सिस्टम में क्लासिफिकेशन और वैल्युएशन का विवाद बढ़ेगा.
इन सबसे अलग सरकार ये बात मानने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है. सरकार का कहना है कि GST से टैक्स से जुड़े केस कम होंगे, चीजें ज्यादा साफ होंगी.
सरकार के इस दावे पर वकील, मैक्डॉनल्ड कॉर्पोरेशन समेत कई दूसरे मुकदमों की याद दिलाते हैं.
जीएसटी लागू होने के बाद ऐसे मामलों में इजाफा हो सकता है.
साथ ही, सरकार के लिए भी ये अच्छी खबर नहीं होगी, क्योंकि हाल के सालों में सरकार को टैक्स मामले में अधिकतर में हार का सामना करना पड़ा. एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे मामलों में साल 2013 में जहां ये सफलता दर 33 फीसदी थी, वो साल 2015 में घटकर 26 फीसदी हो गई.
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