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इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) घोटाले के दोषियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने ग्रुप की वित्तीय सेवा सब्सिडरी IFIN के टॉप मैनेजमेंट को घेरे में लिया है. SFIO का कहना है कि IFIN के टॉप मैनेजमेंट के सदस्यों ने उसके आडिटरों और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की ‘मंडली’ के साथ मिलकर कंपनी को अपनी जागीर की तरह से चलाया और उसके साथ धोखाधड़ी की. ग्रुप में कुल 90,000 करोड़ रुपये के कर्ज की चूक हुई है.
अधिकारियों ने बताया कि आईएफआईएन के पूर्व एग्जिक्यूटिव्स और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स के खिलाफ अभियोजन और उनकी संपत्तियों को कुर्क करने के अलावा एसएफआईओ आडिटरों की सभी चल और अचल संपत्तियों को कुर्क करने की तैयारी कर रहा है. इनमें लॉकर, बैंक खाते और संयुक्त रूप से रखी गई संपत्तियां शामिल हैं. एसएफआईओ आईएफआईएन द्वारा बैंकों से लिए गए सभी कर्जों का ब्योरा जुटा रहा है और साथ ही बैंकों और उनके अधिकारियों और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की भूमिका की जांच कर रहा है.
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सएफआईओ ने पहली चार्जशीट 400 से ज्यादा इकाइयों के खातों की जांच के बाद दायर की है. इसके तहत गहन फॉरेंसिक आडिट किया गया है. इनमें IL&FS के दफ्तरों के लैपटॉप और डेस्कटॉप से निकाले गए आंकड़ों को शामिल किया गया है. साथ ही एसएफआईओ ने कंपनी के सर्वरों से निकाले गए ई-मेल, रिजर्व बैंक की जांच रिपोर्ट, बैठक के ब्योरे और अन्य दस्तावेजों का अध्ययन किया है और सरकार द्वारा नियुक्त IL&FS के नए बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर किया है.
पिछले शुक्रवार को मुंबई की विशेष अदालत के सामने दायर चार्जशीट में एसएफआईओ ने 30 इकाइयों और लोगों के खिलाफ आरोप लगाए हैं. आईएफआईएन के पूर्व टॉप मैनेजमेंट पर कंपनी, उसके शेयरधारकों और कर्जदाताओं के हितों को नुकसान पहुंचाने की मंशा से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है. इससे कंपनी को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया गया. इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने 'मंडली' के तौर पर काम किया और अन्य लोगों के साथ साठगांठ कर रिजर्व बैंक के निर्देशों का उल्लंघन किया.
एसएफआईओ के आरोपपत्र में डेलॉयट हास्किंस एंड सेल्स एलएलपी और बीएसआर एंड एसोसिएट्स का नाम शामिल है. जांच एजेंसी ने कहा कि कंपनी ने जो वित्तीय ब्योरा या बयान जमा किया है, उसमें सही स्थिति के बारे में नहीं बताया. जबकि 2010-11 से 2017-18 के दौरान दिए गए वित्तीय ब्योरे में मान्य लेखा मानकों का पालन नहीं किया गया. एक डायरेक्टर ने कर्ज लेने वाली कंपनी में अपने हित का जिक्र नहीं किया, जबकि उस कंपनी में उसकी पत्नी और बेटी बोर्ड में थीं.
एसएफआईओ ने कहा कि उसकी जांच में यह सामने आया कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के तौर पर आईएफआईएन ने शिवा, एबीजी, ए2जेड, पार्श्वनाथ और कई अन्य कंपनियों को कर्ज दिया, जबकि इनमें से कई कर्ज की वापसी समय पर नहीं कर रही थीं.
(इनपुट: PTI)
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