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हमारे नए आरबीआई गर्वनर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रैजुएट हैं, येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी है. देश के 8वें ऐसे आरबीआई गर्वनर हैं जिन्हें डिप्टी गर्वनर के पद से प्रमोट कर चीफ बनाया गया है. पिछले साढ़े तील साल से वो आरबीआई के डिप्टी गर्वनर थे लेकिन उन्हें कभी भी ज्यादा बोलते हुए नहीं देखा गया. रघुराम राजन के साथ मिलकर काम करते हुए उन्होंने कमान राजन को ही संभालने दी.
पर्दे के पीछे उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है महंगाई कंट्रोल. उर्जित उस समिति के अध्यक्ष रहे हैं, जिसने थोक मूल्यों की जगह खुदरा मूल्यों को महंगाई का नया मानक बनाए जाने सहित कई अहम बदलाव किए.
लेकिन रघुराम राजन की कुर्सी संभालने वाले उर्जित पटेल की राह कितनी आसान होगी?
हम आपके सामने देश के 5 ऐसे बड़े चैलेंज लेकर आकर रहे हैं जो उर्जित पटेल के लिए कुर्सी संभालते ही विरासत में मिलने वाले हैं.
ऑफिस संभालते ही नए RBI चीफ को महंगाई पर काबू करना होगा और ब्याज दरों को नीचे लाना होगा. और ये सब लिक्विडिटी को सिस्टम में सरल बनाते हुए करना होगा. पटेल के लिए ये सबसे टफ टास्क है क्योंकि ब्याज दर में कटौती और महंगाई पर काबू करने के दौरान उन्हें केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं को भी ध्यान में रखना होगा.
बैंकिंग सिस्टम में दोबारा जान फूंकना,ये रघुराम राजन के कार्यकाल की प्रमुखता रही. अब उर्जित पटेल को भी इसे आगे ले जाना होगा और बैंकों की बैलेंस शीट को क्लीन करना होगा, बैड डेब्ट को कम भी करना होगा.
रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल में डिफॉल्टर्स पर सख्ती बरती थी. क्या उर्जित पटेल राजन की मुहिम को जारी रखेंगे?
मंहगाई की मार पूरा देश झेल रहा है. दाल से लेकर आम जरुरतों की चीजों के दाम आसमान छू रही हैं. ऐसे में 4 फीसदी महंगाई दर के टार्गेट को छू पाना आसान नहीं होगा. सरकार की कोशिश है कि महंगाई को जनवरी 2017 तक 5 फीसदी के दर पर लाया जाए और इसे 2% से 6% के बीच ही रखा जाए. और अब पूरे देश की निगाहें उर्जित पटेल पर टिकी हैं.
बतौर नए गर्वनर उर्जित पटेल को अपनी पॉलिसी मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के फ्रेमवर्क में ही तय करना होगा. ऐसा करने में उन्हें दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि वो पीएम मोदी के करीबी हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पिछले 3 गर्वनर, वाई बी रेड्डी, सुब्बा राव और रघुराम राजन ने सरकार से अच्छे संबंध बना कर रखे. सरकार की बात सुनी लेकिन फैसले अपने आकलन के मुताबिक लिए. ऐसे में ये एक अहम सवाल है कि क्या उर्जित पटेल इस परंपरा को कायम रखेंगे?
ये जानना इसलिए भी जरुरी है कि सरकार की दो बड़ी स्कीन जनधन और मुद्रा कि दशा और दिशा अभी तय होनी है और ये पूरी तरह से आरबीआई के रुख पर निर्भर करेगा.
जनधन में अभी तक 21 करोड़ अकाउंट खोले जा चुके हैं लेकिन अभी तक लास्ट माइल कनेक्टिविटी का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है. वहीं मुद्रा स्कीम का लक्ष्य छोटे कारोबारियों को बैंक द्वारा आर्थिक मदद या लोन दिया जाना है. सरकार की तरफ से तो ये पॉलिसी लागू कर दी गई है लेकिन बैंक सिक्योरिटी को लेकर ज्यादातर बैंक लोन देने से हिचक रहे हैं.
वहीं विदेशी मुद्रा (NRI) पर ध्यान देने की जरुरत है. नए गर्वनर को भारतीय बैंकिंग सिस्टम में FCNR ऑउटफ्लो को सुधारना होगा. फिलहाल ये बुरी हालत में है.
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