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टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया अपने अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं. AGR पेमेंट करने के दबाव के चलते कंपनी पर कारोबार ठप होने का खतरा मंडरा रहा है. मिंट के मुताबिक कंपनी ने आनन-फानन में अनौपचारिक रूप से 15 फरवरी को बोर्ड बैठक बुलाई है. इस बैठक में कंपनी के पास अब बचे विकल्पों पर विचा किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट और टेलीकॉम विभाग ने पहले ही एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू को लेकर कंपनियों को सख्त हिदायतें दी हैं.
वोडाफोन-आइडिया कंपनी का बोर्ड बैंकरप्सी फाइल करने या कंपनी में और पैसा डालने और AGR के बकाए के कुछ हिस्से का भुगतान करने जैसे विकल्पों पर विचार करेगा.
टेलीकॉम विभाग ने आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियां अपने बकाए को 14 फरवरी को रात 12 बजे से पहले चुकाएं. 14 फरवरी को ही टेलीकॉम विभाग को भी सुप्रीम कोर्ट ने डेडलाइन खत्म हो जाने के बाद भी AGR का बकाया वसूल न करने को लेकर फटकार लगाई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 में अपने फैसले में कहा था कि सरकार की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से AGR पर मांगा जा रहा शुल्क जायज है. टेलीकॉम कंपनियों को इस साल 23 जनवरी तक यह शुल्क जमा करने को कहा गया था. लेकिन कंपनियों ने शुल्क जमा नहीं किया है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर और सख्त रवैया अपनाया है.
AGR यानी Adjusted gross revenue दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से हैं- स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस. DOT का कहना है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपोजिट इंटरेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल है. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए.
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