Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019घर खरीदने से पहले जीएसटी का पूरा हिसाब समझ लीजिए

घर खरीदने से पहले जीएसटी का पूरा हिसाब समझ लीजिए

जीएसटी लागू होने के बाद क्या घर खरीदना पहले से महंगा हो गया है?

द क्विंट
बिजनेस
Updated:


क्या घर खरीदारों पर जीएसटी का असर पड़ेगा
i
क्या घर खरीदारों पर जीएसटी का असर पड़ेगा
(फोटो: pixabay.com)

advertisement

जीएसटी लागू होने के बाद क्या घर खरीदना पहले से महंगा हो गया है? इस सवाल के जवाब के लिए प्रॉपर्टी पर जीएसटी के नियमों की जानकारी ले लेते हैं.

अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर वैसे तो जीएसटी है 18 फीसदी, लेकिन ये टैक्स लगेगा प्रॉपर्टी की दो-तिहाई वैल्यू पर, यानी प्रभावी जीएसटी की दर होगी 12 फीसदी. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी प्रॉपर्टी की कीमत में एक-तिहाई हिस्सा जमीन की कीमत का मान लिया जाएगा.

जीएसटी के नियमों के तहत डेवलपर्स को कंस्ट्रक्शन के लिए इस्तेमाल किए गए प्रोडक्ट, मसलन स्टील और सीमेंट पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा भी मिलेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर डेवलपर्स इस क्रेडिट का फायदा ग्राहकों को दें, तो प्रॉपर्टी की कीमत में 1 से 3 परसेंट की कमी आ सकती है.

हालांकि ये कमी अफोर्डेबल या कम कीमत के घरों में आएगी, प्रीमियम प्रोजेक्ट के घरों की कीमत पहले जैसे स्तर पर ही रहेगी.

आसान होगी टैक्स की गणना

जीएसटी लागू होने के पहले प्रॉपर्टी खरीदने वाले को वैल्यू एडेड टैक्स, सर्विस टैक्स, स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस जैसे टैक्स देने होते थे. वैल्यू एडेड टैक्स या वैट राज्य सरकारें लगाती थीं और इसकी दरें हर राज्य में अलग-अलग होती थीं. यही नहीं, वैट के मामले में ये साफ भी नहीं होता था कि किस लेवल पर कितनी रकम बिल्डर ने चुकाई है.

ज्यादातर समय तो बिल्डर जितना वैट ग्राहक से मांगता था, ग्राहक के पास उस पर भरोसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता था. सर्विस टैक्स केंद्र सरकार वसूलती थी जिसकी दर थी 15 फीसदी.

घर खरीदारों को वैल्यू एडेड टैक्स और सर्विस टैक्स के बजाय सिर्फ जीएसटी देना होगा( फोटो:Istock )

हालांकि सर्विस टैक्स भी प्रॉपर्टी की पूरी वैल्यू पर नहीं, बल्कि उसके एक हिस्से पर लगता था जिसकी वजह से ग्राहकों के लिए इसे समझना भी आसान नहीं होता था. लेकिन अब घर खरीदारों को वैल्यू एडेड टैक्स और सर्विस टैक्स के बजाय सिर्फ जीएसटी देना होगा, जिसे समझना और टैक्स की गणना करना पहले से काफी आसान होगा.

घर खरीदारों को हालांकि स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस पहले की तरह देना पड़ेगा, क्योंकि ये दोनों टैक्स जीएसटी के दायरे से बाहर हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्या रेडी-टू-मूव घर महंगे पड़ेंगे?

बिल्डरों के जो फ्लैट बनकर तैयार हो चुके हैं, उन पर उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलेगा. यानी टैक्स के लिहाज से बचत का जो फायदा बिल्डर अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट पर ग्राहक को दे सकता है, वो फायदा रेडी-टू-मूव फ्लैट पर नहीं दिया जा सकेगा.

इसका मतलब यही है कि किसी प्रोजेक्ट के एक समान दो फ्लैट की कीमत में भी थोड़ा अंतर आ सकता है. अगर उनमें से एक रेडी-टू-मूव है और दूसरा अंडर कंस्ट्रक्शन. लेकिन इसके साथ ये भी याद रखें कि रेडी-टू-मूव फ्लैट पर जीएसटी लागू नहीं है, यानी आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा.

बिल्डरों के जो फ्लैट बनकर तैयार हो चुके हैं, उन पर उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलेगा ( फोटो:Istock )

अगर बिल्डर रेडी-टू-मूव फ्लैट पर आपसे जीएसटी की मांग करते हैं, तो आप इसकी शिकायत कर सकते हैं. अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा ग्राहकों को मिले, इसके लिए सरकार ने एंटी प्रॉफिटियरिंग क्लॉज का प्रावधान भी रखा है.

अगर कोई बिल्डर टैक्स क्रेडिट का फायदा ग्राहकों को नहीं देता, तो उसके खिलाफ शिकायत की जा सकती है और अगर ये शिकायत सही पाई गई तो बिल्डर को भारी जुर्माना देना पड़ सकता है.

किराये के घर पर लगेगा जीएसटी?

जो लोग अपनी प्रॉपर्टी को रिहायशी इस्तेमाल के लिए किराये पर दे रहे हैं, तो उससे होने वाली इनकम पर जीएसटी नहीं लगेगा( फोटो: द क्‍व‍िंट)

अगर आप घर किराये पर दे रहे हैं, तो भी जीएसटी से डरने की जरूरत नहीं है. जो लोग अपनी प्रॉपर्टी को रिहायशी इस्तेमाल के लिए किराये पर दे रहे हैं, तो उससे होने वाली इनकम पर जीएसटी नहीं लगेगा. हां, अगर प्रॉपर्टी का व्यवसायिक या औद्योगिक इस्तेमाल हो रहा है, और सालाना आय 20 लाख रुपये से ज्यादा है तो 18 फीसदी का टैक्स उस पर देना होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 17 Aug 2017,06:34 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT