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हैदराबाद से पटना तक और बेंगलुरु से भोपाल तक अचानक देश में नकदी का संकट गहरा गया है. सरकार कह रही है कि घबराने की जरूरत नहीं है, रिजर्व बैंक कह रहा है नोटों की कमी नहीं है, लोग पूछ रहे हैं तो फिर एटीएम क्यों खाली हैं? सरकार दावा कर रही है कि 5-7 दिनों में दिक्कत दूर हो जाएगी. लेकिन इतनी बड़ी दिक्कत आई कैसे क्या है असली वजह आइए बहुत आसान तरीके से समझते हैं.
कैश की कमी दक्षिण के राज्यों से होती हुई बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तक फैल गई.
फैला दिया गया कि प्रस्तावित बिल में एक प्रावधान है कि बैंक में रखा जमाकर्ताओं का डिपॉजिट सुरक्षित नहीं है. सरकार ने बार बार सफाई दी कि कोई खतरा नहीं है पर लोगों ने बड़े पैमाने पर अपनी रकम बैंकों और एटीएम से निकालनी शुरू कर दी.
बैंकों के फ्रॉड का हवाला देते हुए अफवाह भी फैला दी गई कि कई बैंक फेल हो सकते हैं. जबकि इसका कोई खतरा नहीं है पर फिर भी लोगों ने अपने खाते खाली करने शुरू कर दिए.
जब एटीएम में रकम ना होने की खबर फैली तो लोग और घबरा गए और देखा देखी देश के दूसरे इलाकों में भी लोग जरूरत से ज्यादा रकम निकालने लगे. एटीएम के बाहर लंबी लाइन, नो कैश के बोर्ड ने इस घबराहट को बढ़ाना शुरू कर दिया.
पहले हैदराबाद, विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा और दूसरे इलाकों में कुछ बैंक एटीएम में नो कैश, या आउट ऑफ सर्विस के बोर्ड दिखे तो लोग घूम घूम कर दूसरी , तीसरी एटीएम में पहुंचने लगे इस तरह कई गुना ज्यादा रकम निकाली जाने लगी. यहां तक लोग अपनी एफडी तुड़वाने लगे और बचत खाते से रकम निकालने लगे. कर्नाटक में नोटों की डिमांड बढ़ने की वजह चुनाव मानी जा रही है जबकि बिहार और तेलंगाना में शादी का सीजन. इसके अलावा रबी की फसल में कटाई का मौका.
बैंकों ने जो कदम उठाए उसका उल्टा असर हुआ, बैंकों ने 20 हजार से 40 हजार रुपए से ज्यादा रकम निकालने में पाबंदी लगा दी इसने आग में घी का काम किया.
रिजर्व बैंक और सरकार का कहना है कि औसत ट्रांजैक्शन के लिहाज से नकदी की कोई दिक्कत नहीं है. पर बैंकरों का कहना है कि दिक्कत की वजह है कि लोगों ने 2000 के नोटों की जमाखोरी शुरू कर दी है. इकोनॉमिक अफेयर सेक्रेटरी के सुभाष गर्ग के मुताबिक सरकार ने जांच नहीं कराई है पर 2000 रुपए के नोट की जमाखोरी का सबसे आसान तरीका है.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने तो कह दिया कि 2000 के नोट की जमाखोरी हो रही है जिस वजह से इनकी कमी हो गई है. जबकि कांग्रेस काआरोप है कि कर्नाटक चुनाव के लिए बीजेपी ने 2000 के नोटों की जमाखोरी की है
बैंकों से रकम निकल तो रही है पर उनके पास जमा की रफ्तार कम हो गई. खासतौर पर मार्च 2018 में रकम निकलने की रफ्तार जमा होने के मुकाबले ज्यादा हो गई. स्टेट बैंक के एक अधिकारी के मुताबिक हम एटीएम में रकम नहीं भर पा रहे हैं क्योंकि लोग जमा ही नहीं कर रहे हैं.
वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने माना कि कुछ राज्यों में कैश की दिक्कत है. इसलिए नकदी के बंटवारे के लिए सरकार ने एक कमेटी बना दी है. उनका दावा है कि 3 दिन में दिक्कत खत्म हो जाएगी.
रिजर्व बैंक के मुताबिक सिस्टम में 18.4 लाख करोड़ रुपए के नोट हैं जो नोटबंदी के पहले का स्तर था, लेकिन जीडीपी के हिसाब से ये कम है.
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