Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019क्यों गिर रहे हैं भारतीय शेयर बाजार?

क्यों गिर रहे हैं भारतीय शेयर बाजार?

भारतीय शेयर बाजार साल 2017 में रिटर्न के लिहाज से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बाजारों में रहे हैं.

धीरज कुमार अग्रवाल
बिजनेस
Updated:


क्या है बाजार में गिरावट की वजह?
i
क्या है बाजार में गिरावट की वजह?
(फोटो: Reuters)

advertisement

शेयर बाजार में शुक्रवार और सोमवार, दो दिनों की भारी गिरावट ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है. क्या ये गिरावट बुल रन के खत्म होने का संकेत है? क्या ये गिरावट आगे और गहरा सकती है? क्या जनवरी से लगातार नई ऊंचाइयां छू रहे शेयर बाजार से अब दूर रहने का वक्त आ गया है? ये सारे सवाल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स दोनों के मन में हैं. सिर्फ दो कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स करीब 750 और निफ्टी करीब 250 प्वॉइंट फिसल चुके हैं. हर कोई ये जानना चाहता है कि आखिर क्यों गिर रहे हैं शेयर बाजार और इस गिरावट के बाद क्या करना चाहिए?

क्या है बाजार में गिरावट की वजह?

बाजार में गिरावट अगर प्रॉफिट बुकिंग या करेक्शन से होती है तो ट्रेडर्स-इन्वेस्टर्स ज्यादा चिंता नहीं करते हैं. लेकिन ताजा गिरावट ने उनके मन में जो सवाल खड़े किए हैं उनके पीछे कई ठोस वजह हैं.

वजह : महंगे हो गए हैं भारतीय शेयर बाजार

इस बात में कोई शक नहीं है कि भारतीय शेयर बाजार साल 2017 में रिटर्न के लिहाज से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बाजारों में रहे हैं. जनवरी से अब तक सेंसेक्स में 21 फीसदी और निफ्टी में 24 फीसदी का उछाल आ चुका है. लेकिन इसी वजह से माना जा रहा है कि यहां के शेयर बाजार ओवरवैल्यूड यानी महंगे हो चुके हैं. रिजर्व बैंक की पिछली बैठक में इसके पैनल के एक सदस्य माइकल पात्रा ने शेयर बाजार के मौजूदा स्तर को “फ्रॉथी और बबली” कहा था. इसका सीधा सा अर्थ है कि शेयर बाजार में एक बुलबुला बन चुका है, जो कभी भी फूट सकता है.

बाजार में बने ‘यूफोरिया’ ने इसके वैल्युएशन को लंबी अवधि के औसत से कहीं ऊपर पहुंचा दिया है, जो चिंता की मुख्य वजह है. निफ्टी इस वक्त अपने प्राइस-अर्निंग रेश्यो यानी पीई के 26 गुने पर चल रहा है, जो इसके लॉन्ग टर्म एवरेज से करीब 30 फीसदी ज्यादा है. इसका मतलब ये है कि अगर मौजूदा स्तर पर निफ्टी या सेंसेक्स की कंपनियों में पैसे लगाए जाएं तो रिटर्न अच्छे मिलने की संभावना कम है.

वजह: पैसे निकाल रहे हैं विदेशी निवेशक

जब अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना कम हो जाए, तो निवेशक पैसे निकालेंगे ही. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक यानी एफपीआई अगस्त के महीने से ही भारतीय बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं. अगस्त में उन्होंने इक्विटी मार्केट से 12,770 करोड़ रुपए निकाले, वहीं सितंबर में अब तक ये रकम करीब 8,000 करोड़ रुपए पहुंच चुकी है. गौरतलब है कि अगस्त के पहले के 6 महीनों में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 62,000 करोड़ रुपए लगाए थे. जाहिर है एफपीआई का पैसा निकालना शेयर बाजार को नीचे लाने की बड़ी वजह बन गया है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

वजह: अर्थव्यवस्था की विकास दर में गिरावट

चाहे विदेशी निवेशक हों या देसी, उनका भरोसा शेयर बाजार में तभी बढ़ता है, जब इकोनॉमिक ग्रोथ की तस्वीर अच्छी हो. वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों ने निवेशकों में निराशा भर दी है. इस तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट सिर्फ 5.7% रही जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में ये 7.9% थी. यही नहीं करेंट अकाउंट डेफिसिट भी इस तिमाही में जीडीपी के 2.4% पर पहुंच गया जबकि पिछले साल की इस तिमाही में ये सिर्फ 0.1% था.

देश में कंपनियां अपनी विस्तार योजनाओं पर खुलकर खर्च नहीं कर रही हैं और एक्सपोर्ट के मोर्चे पर भी कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है.

पिछले कुछ दिनों में सरकार की तरफ से इकोनॉमी की हालत सुधारने के लिए बूस्टर पैकेज पर विचार करने के बयान आए हैं. इनसे कुछ फायदा तो हो सकता है, लेकिन फिर सरकार के वित्तीय घाटे का लक्ष्य पूरा होना मुश्किल हो सकता है. हालांकि ओईसीडी ने भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 7.3% से घटाकर 6.7% कर दिया है. इन सब वजहों से भी निवेशकों का भरोसा शेयर बाजार से घटा है.

वजह: कंपनियों के तिमाही नतीजों में दम नहीं

मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही में कॉरपोरेट इंडिया के नतीजों से बाजार उत्साहित नहीं था. ऐसी कंपनियों की तादाद बढ़ी है, जिन्होंने अपने तिमाही नतीजे में नुकसान दिखाया. दूसरी तिमाही में भी कंपनियों के नतीजे खास बेहतर रहने की उम्मीद नहीं है. और, जब तक कंपनियों के नतीजों में दम नहीं दिखेगा, शेयर बाजार को यहां से नई छलांग लगाने के लिए आधार नहीं मिलेगा.

काश ताजा गिरावट ‘करेक्शन’ हो!

जनवरी से अब तक शेयर बाजार के चढ़ने की वजहों में एक है- म्युचुअल फंड में आया रिटेल इन्वेस्टरों का पैसा. सोना और प्रॉपर्टी छोड़कर लोगों का इक्विटी की तरफ आना बाजार के लिए एक बड़ा बूस्टर था. इक्विटी म्युचुअल फंड में पिछले 12 महीनों में करीब 2 लाख करोड़ रुपए का निवेश आया है, और इसने भारतीय शेयर बाजार को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई है. लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ऐसा निवेश आगे के महीनों में भी जारी रहे. वैसे बाजार के कई जानकार मानते हैं कि अगर ये ‘लिक्विडिटी’ जारी रही तो अगले तीन महीनों में शेयर इंडेक्स 7-8% ऊपर जा सकते हैं. लेकिन ये तभी होगा, जब बाजार की ताजा गिरावट ‘करेक्शन’ साबित हो, ‘क्रैश’ नहीं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 26 Sep 2017,08:00 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT