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भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की खबरों के बीच देश में इकनॉमी के मोर्चे पर भी हालात खराब हो चले हैं. मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर में उम्मीद से कम 6.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. उम्मीद 6.8 फीसदी की लगाई गई थी. पिछली पांच तिमाहियों में यह सबसे खराब प्रदर्शन है. दूसरी तिमाही में सात फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.
याद रहे, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 के 7.4 फीसदी ग्रोथ रेट के आकलन को नहीं बदला था. आरबीआई की ओर से जारी पॉलिसी स्टेटमेंट के दौरान आरबीआई में यह आकलन पेश किया था. हालांकि उसने ग्रोथ स्लो होने की आशंका जताई थी. इससे पहले सरकार (सीएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों में भी ग्रोथ रेट का आकलन घटा कर 7.2 फीसदी से घटा कर 7 फीसदी कर दिया गया था.
आगे सरकार के लिए हालात मुश्किल होंगे. सरकार ने अभी किसानों को डायरेक्ट कैश दिया है ताकि ग्रोथ को बढ़ावा मिले. लेकिन इससे सरकार का कर्जा बढ़ेगा. सरकार की कमाई और खर्चे का गैप यानी फिस्कल डेफिसिट बढ़ रहा है. सरकार इसे ज्यादा बढ़ने नहीं दे सकती. फिस्कल डेफिसिट को काबू में रखने के लिए सरकार पूंजीगत खर्चों में कमी करने को मजबूर होगी. जनवरी में यह 35 फीसदी गिर गया था. अब सरकार खर्च और घटाना चाहेगी जिससे ग्रोथ पर और नकारात्मक असर पड़ सकता है.
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