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विश्व बैंक ने फाइनेंशिल ईयर 2021-22 के लिए भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 10.1 परसेंट कर दिया है. इसके पहले वर्ल्ड बैंक ने 1 अप्रैल से शुरू होने वाले फाइनेंशियल ईयर के लिए 5.4 परसेंट ग्रोथ का अनुमान जताया था. विश्व बैंक ने कहा है कि भारत की ग्रोथ कई चीजों पर निर्भर करेगी. साथ ही सरकार का फिस्कल डेफिसिट 10% से ज्यादा रह सकता है.
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कोरोना संकट की तमाम अनिश्चितताओं के बीच अगले वित्तीय साल के लिए रियल जीडीपी 7.5 से 12.5 परसेंट के बीच रह सकती है. लेकिन ये सब वैक्सीनेशन प्रक्रिया की सफलता, मौसम के हालात, कोरोना प्रतिबंधों पर निर्भर करेगा.
विश्व बैंक के मुताबिक कोरोना वायरस संकट की वजह से भारत की राजकोषीय स्थिति पतली रहने वाली है. अनुमान है कि फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 10 परसेंट से ज्यादा रह सकता है. वहीं सरकारे कर्ज में भारी बढ़ोतरी होने वाली है.
इसके पहले इस साल के शुरुआती महीने जनवरी ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने अनुमान जताया था कि आने वाले फाइनेंशियल ईयर में भारत की जीडीपी ग्रोथ 11.5 परसेंट रह सकती है. कोरोना वायरस संकट के बावजूद भारत की ग्रोथ डबल डिजिट हो सकती है.
फरवरी महीने में जो GDP का डेटा आया था उसके मुताबिक भारत की इकनॉमी तकनीकी रूप से मंदी से बाहर आ गई है. फाइनेंशियल ईयर 2020-21 की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ पॉजिटिव टेरिटरी में रही थी. तब जीडीपी ग्रोथ 0.4% रही. वहीं पूरे फाइनेंशियल ईयर के लिए GDP ग्रोथ -8% रहने का अनुमान है. कोरोना वायरस संकट के दौरान गढ्ढे में गिरी इकनॉमी अब फिर से बाहर आ चुकी है, हालांकि पहले के स्तर पर पहुंचने में वक्त लगेगा.
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