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जब भारत में हर दिन दो लाख से ज्यादा कोरोना के मामले आ रहे हैं तब बंगाल की चुनावी रैलियों में बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के लाखों की भीड़ परेशान करने वाली है. ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह ने कोरोना को चुनाव के साथ जोड़ने को गलत बताया है.
उन्होंने रोज बढ़ते मामलों के बीच बड़ी चुनावी रैली करने के सवाल पर जवाब देते हुए कहा -
अमित शाह ने यह बात इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कही. चुनाव को लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि चुनावी रैली में लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए और वो बरत भी रहे हैं. उनके अनुसार "जब चुनाव की घोषणा हो गई है तब हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है.”
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा वैक्सीन उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार से 3000 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद की मांग की खबरों पर शाह ने कहा कि "आपको किसने बताया कि उन्होंने मदद मांगी है? बातचीत चल रही है और देखते है क्या करने की जरूरत है".
बढ़ते कोरोना मामलों को नियंत्रित करने के लिए विकल्प के रूप में लॉकडाउन के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत कर रही है. शाह ने कहा, “पिछली बार लॉकडाउन के उद्देश्य अलग थे. हम इंफ्रास्ट्रक्चर और "लाइन ऑफ ट्रीटमेंट" तैयार करना चाहते थे. हमारे पास कोई दवाइयां और वैक्सीन नहीं थी.”
बीजेपी पर TMC द्वारा बंगाल में "बाहरी" होने के आरोप पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि बंगाल की जनता ने पहले ही निर्णय कर लिया है.
उनके अनुसार BJP अखिल भारतीय पार्टी है और यहां प्रचार कर रही है. मोदी जी देश के प्रधानमंत्री है और वे बंगाल के लोगों से बात क्यों नहीं कर सकते. यह किस तरह का लोकतंत्र है?
CAA को लागू करने में हो रही देरी से असम में BJP के प्रदर्शन पर असर की बात पर उन्होंने कहा कि " CAA अब 'लॉ ऑफ़ लैंड है' और उसे लागू होना ही होगा.
शाह ने कहा, "मुझे लगता है कि CAA एक ऐसा कानून है जो देश के लिए अच्छा है और ऐसे मुद्दे से जुड़ा है जो लाखों लोगों को प्रभावित करता है. यह कानून लागू होगा.”
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