Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Coronavirus Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोरोना की दूसरी वेव में ज्यादा खर्च की थी जरूरत,केंद्र ने की कटौती

कोरोना की दूसरी वेव में ज्यादा खर्च की थी जरूरत,केंद्र ने की कटौती

केंद्र सरकार ने दूसरी लहर में खर्च बढ़ाने की बजाय इसमें कटौती की है

क्विंट हिंदी
कोरोनावायरस
Published:
केंद्र सरकार ने दूसरी लहर में खर्च बढ़ाने की बजाय इसमें कटौती की है
i
केंद्र सरकार ने दूसरी लहर में खर्च बढ़ाने की बजाय इसमें कटौती की है
(फोटो: PTI)

advertisement

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) की दूसरी लहर में कोरोना से 1 करोड़ नौकरियां जाने की रिपोर्ट के बाद अब एक और रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें बताया गया है कि भारत सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर में खर्च बढ़ाने की बजाय इसमें कटौती की है. दूसरी लहर में सबसे ज्यादा नुकसान होने के बावजूद केंद्र सरकार का फिस्कल रिस्पॉन्स काफी सुस्त रहा है.

कोरोना के कहर के बाद स्टिमुलस पैकेज का भी नहीं हुआ ऐलान

CMIE की रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र सरकार की तरफ से कोरोना की दूसरी लहर के लिए अब तक किसी भी तरह के फिस्कल स्टिमुलस यानी राजकोषीय प्रोत्साहन की भी घोषणा नहीं की गई है. इतना ही नहीं 2021-22 के लिए अपने बजट से उचित खर्च करने से भी परहेज किया है. जबकि अप्रैल 2021 में सरकार को काफी अच्छा टैक्स कलेक्शन मिला.

सोर्स - CMIE

रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने अप्रैल 2021 में सिर्फ 2.27 ट्रिलियन खर्च किए. जो कि सरकार के 34.8 ट्रिलियन रुपये के सालाना बजट का महज 6.5 प्रतिशत ही है. जब देश के तमाम राज्यो में लॉकडाउन लगाया गया था, बिजनेस एक्टिविटी पूरी तरह से बंद थी और करोड़ों लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है, तब सरकार से उम्मीद थी कि वो बजट का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा खर्च करेगी. लेकिन सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया. बल्कि सालाना बजट के लक्ष्य में अनुपात के आधार पर अप्रैल 2021 में जितना खर्च किया जाना था वो तक नहीं हुआ. अप्रैल में 2.9 ट्रिलियन रुपये खर्च का अनुमान था.

अब अगर दूसरे वेव के लिए अप्रैल में खर्च किए जाने वाले बजट की तुलना पिछले साल अप्रैल के खर्च से की जाए तो काफी चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आता है. क्योंकि अप्रैल 2020 में 3.07 ट्रिलियन खर्च किए गए थे, यानी इस साल अप्रैल में खर्च हुआ बजट पिछले साल से 26.2 प्रतिशत कम है.

हालांकि अगर पिछले कुछ सालों की तुलना में देखें तो अप्रैल महीने में होने वाले खर्चे को देखते हुए ये चिंताजनक नहीं है. क्योंकि साल 2017, 2018 और 2019 में 2.4 ट्रिलियन रुपये सरकार का औसत खर्च था. लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि तब महामारी जैसी कोई बात नहीं थी. वहीं 2021 में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने अपना सबसे खौफनाक कहर दिखाया. इसीलिए इस मुश्किल वक्त में सरकार के खर्चे में कटौती एक चिंता का विषय है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

राजस्व व्यव में कमी, पूंजीगत व्यय बढ़ा

CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2021 में सरकार का कुल रेवेन्यू एक्सपेंडिचर (राजस्व व्यय) 35.6 फीसदी घटकर करीब 1.8 ट्रिलियन हो गया. ये 2017, 2018 और 2019 के राजस्व खर्चे से करीब 12.3 फीसदी कम है. वहीं दूसरी तरफ कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी पूंजीगत व्यय अप्रैल 2020 में 7.5 गिरने के बाद इस साल अप्रैल में 66.5 प्रतिशत बढ़कर 471 अरब हो गया. जो 2017, 2018 और 2019 के अप्रैल औसत से 33.4 प्रतिशत ज्यादा है.

अब स्वास्थ्य मंत्रालय के रेवेन्यू एक्सपेंडिचर की बात करें तो पिछले साल के मुकाबले इसमें करीब 54.3 प्रतिशत की कमी आई है. यानी स्वास्थ्य मंत्रालय का खर्च भी घटा है. हालांकि अगर 2017, 2018 और 2019 की बात करें तो ये औसत खर्च से ये 88.3 प्रतिशत ज्यादा है.

राज्यों के टैक्स रेवेन्यू में कटौती

इस साल रिकॉर्ड टैक्स कलेक्शन के बावजूद केंद्र सरकार ने राज्यों को राहत नहीं दी है. सरकार ने केंद्रीय टैक्स में राज्यों की हिस्सेदारी में कटौती कर दी है. अप्रैल 2021 में राज्यों को दिया जाने वाला टैक्स रेवेन्यू 391.8 अरब है, जो पिछले साल की तुलना में करीब 23.4 प्रतिशत कम है.

बता दें कि केंद्र से मिलने वाला टैक्स रेवेन्यू राज्यों के लिए एक बड़ा राजस्व का स्त्रोत है. अब राज्यों के हिस्से में की गई इस कटौती का असर उनके खर्च करने की क्षमता को प्रभावित करेगा और राज्य सरकारें भी ज्यादा खर्च नहीं कर पाएंगीं.

वित्त मंत्री सीतारमण ने दिया जवाब

बता दें कि कोरोना से मचे त्राहिमाम के बाद भी केंद्र सरकार के इस रुख को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. केंद्र ने अब तक स्टीमुलस पैकेज का ऐलान नहीं किया है. इसे लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के एक इंटरव्यू में सवाल किया गया. वित्त मंत्री ने इसके जवाब में कहा कि, अभी इतनी जल्दी स्टीमुलस पैकेज की बात ठीक नहीं है. क्योंकि अभी तो पहली तिमाही भी खत्म नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि बजट को इस तरह से तैयार किया गया है कि इसमें सारी जरूरतें पूरी हो जाएं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT