advertisement
केंद्र सरकार ने शनिवार को उस रिपोर्ट का खंडन किया है जिसमें कयास लगाया गया था कि देश में COVID-19 से मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से ‘‘पांच से सात गुना’’ तक ज्यादा हो सकती है.
सरकार ने कहा है कि यह कयास महामारी विज्ञान संबंधी सबूतों के बिना महज आंकड़ों के आकलन पर आधारित है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बिना नाम लिए यह रिपोर्ट पब्लिश करने वाली पत्रिका पर निशाना साधा है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मंत्रालय ने द इकनॉमिस्ट की ओर से प्रकाशित लेख को कयास लगाने वाला, बिना किसी आधार वाला और भ्रामक करार दिया है.
मंत्रालय ने कहा है कि पत्रिका में जिन स्टडी का इस्तेमाल मौतों का अनुमान लगाने के लिए किया गया है वे किसी भी देश या क्षेत्र के मृत्युदर का पता लगाने के लिए विधिमान्य टूल्स नहीं है. इसके साथ ही मंत्रालय ने कई कारण गिनाए हैं, जिनकी वजह से जिन स्टडी का इस्तेमाल पत्रिका ने किया है, 'उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है.'
बयान में कहा गया है, ‘‘जो एक और सबूत दिया गया कि वो तेलंगाना में बीमा दावों के आधार पर की गई स्टडी है, लेकिन समीक्षा किया गया वैज्ञानिक आंकड़ा ऐसी स्टडी को लेकर नहीं है.’’
बयान में कहा गया है कि अपने खुद के प्रस्तुतीकरण में, पत्रिका कहती है कि इस तरह के अनुमानों को अस्पष्ट और अक्सर अविश्वसनीय स्थानीय सरकारी आंकड़ों से, कंपनी के रिकॉर्ड से और मृत्युलेख जैसी चीजों के विश्लेषण से निकाला गया है.
मंत्रालय ने कहा है कि सरकार कोविड आंकड़ों के प्रबंधन के मामले में पारदर्शी है, मौतों की संख्या में विसंगति से बचने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुंसधान परिषद (आईसीएमआर) ने मई 2020 में दिशानिर्देश जारी किए थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)