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अप्रैल और मई में कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर को झेलने के बाद अब मामलों में कमी देखी जा रही है. देश में पिछले कई दिनों से लगातार मामलों में गिरावट दर्ज हो रही है, जो इस ओर इशारा करती है कि कोविड की दूसरी लहर अब खत्म होने को है. कई राज्यों ने पाबंदियों में भी ढील देनी शुरू कर दी है. तो क्या वाकई ऐसा है? क्या हम कोविड की दूसरी लहर से वाकई पार पा गए हैं? आंकड़े क्या कहते हैं?
मिशिगन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर, डेटा साइंटिस्ट भ्रमर मुखर्जी ने कुछ दिनों पहले एक ग्राफ ट्वीट कर बताया था कि देश में केसों में गिरावट देखी जा रही है, लेकिन R वैल्यू वापस बढ़ती हुई दिख रही है. R वैल्यू का मतलब है कि एक शख्स कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है. 1 R वैल्यू का मतलब है कि एक शख्स औसत तौर पर एक और शख्स को संक्रमित कर सकता है. अगर ये नंबर 1 से ऊपर जाता है, तो परेशानी की बात हो सकती है, क्योंकि तीसरी लहर की चेतावनी के बीच R नंबर का बढ़ना खतरनाक है.
अगर देश में R वैल्यू बढ़ती है, तो टेस्टिंग पॉजिटिविटी रेट में भी बढ़ोतरी देखी जाएगी. टेस्टिंग पॉजिटिविटी रेट मतलब कि कितने टेस्ट रिजल्ट वापस पॉजिटिव आ रहे हैं. देश में पिछले एक हफ्ते में पॉजिटिविटी रेट वाले जिले बढ़े हैं. पिछले हफ्ते 10% से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट वाले जिले बढ़कर 71 से 77 हो गए हैं. ये नेशनल एवरेज से भी ज्यादा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश का पॉजिटिविटी रेट 2.61% है. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी के चौबे ने बताया जकि देश का पॉजिटिविटी रेट लगातार 28 दिनों से 5% से कम है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 10% से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट वाले सबसे ज्यादा जिले अरुणाचल प्रदेश है, जहां 19 जिलों में रेट 10% से ज्यादा है. राज्य का पूर्वी कामेंग में टेस्ट पॉजिटिविटी 86.67% है. राजस्थान और केरल में भी ऐसे जिलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. राजस्थान में ऐसे जिलों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है. वहीं, केरल में भी 8 जिलों में पॉजिटिविटी रेट 10% से ज्यादा है. महाराष्ट्र में भी एक जिले में पॉजिटिविटी रेट 10% से ज्यादा है. राज्य में कोविड के मामले भी 10 हजार के आसपास चल रहे हैं. जहां दूसरे राज्यों के एक्टिव केस लोड में तेजी से गिरावट देखी गई, वहीं महाराष्ट्र में अभी भी रोजाना 10 हजार के पास एक्टिव केस आ रहे हैं.
इसपर महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स के सदस्य, डॉ शशांक जोशी ने कहा, "पालघर, रायगढ़, सतारा, सांगली, कोल्हापुर, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जैसे जिलों से मामलों की खतरनाक संख्या के कारण हम गिरावट नहीं देख रहे हैं. इन जिलों में जितने मामले सामने आ रहे हैं, उनकी विस्तृत जांच की जरूरत है. साथ ही, हमें यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अनलॉकिंग का ध्यान रखा जाए."
भारत में पिछले कुछ दिनों से कोविड के मामले 35-45 हजार के बीच देखे जा रहे हैं. चिंता की बात ये है कि इसी संख्या के आसपास नए मामले कई दिन से आ रहे हैं. देश में मौत के मामलों में भी कमी देखी जा रही है, लेकिन अब भी आंकड़ा काफी ज्यादा है. मई के आखिर में रोजाना 4 हजार से ज्यादा मौतें के पीक के बाद, 20 जून के आसपास आंकड़ा 1500 के करीब आ गया, जो महीनों बाद 28 जून को हजार से नीचे आया. 28 जून से 3 जुलाई के बीच रोजाना मौत का आंकड़ा 700 से 900 के बीच रहा.
इन आंकड़ों को देखकर ये सवाल अभी भी बना हुआ है कि कोरोना के मामलों में कमी होने के बाद मौत के आंकड़े कम क्यों नहीं हो रहे हैं.
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच इकलौती राहत की बात रिकवरी रेट बढ़ना है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 5 जुलाई को देश का रिकवरी रेट बढ़कर 97.11% हो गया.
कोरोना के नए वेरिएंट्स सामने आने के बाद तीसरी लहर को लेकर भी आशंका जताई जा रही है. कोविड पर सरकार के पैनल के साइंटिस्ट के मुताबिक, भारत में अक्टूबर-नवंबर में कोविड की तीसरी लहर आ सकती है. आईआईटी कानपुर के साइंटिस्ट, मनिंदर अग्रवाल ने मैथेमैटिकल मॉडल के आधार पर बताया कि अगर कोविड नियमों का पालन नहीं किया गया, तो तीसरी लहर अक्टूबर-नवंबर के बीच आ सकती है.
उन्होंने कहा कि तीसरी लहर रोजाना, दूसरी लहर के डेली केस का आधा देखा जा सकता है. हालांकि, अगर कोविड के नए वेरिएंट्स सामने आते हैं, तो संक्रमण तेजी से फैल सकता है.
कोरोना के इन सभी फैक्टर्स पर गौर करें तो साफ है कि खतरा अभी बरकरार है. दूसरी लहर कमजोर जरूर हुई है, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं. और अगर कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया, तो देश को एक और खतरनाक लहर का सामना करना पड़ सकता है.
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