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कोविशील्ड डोज के बीच गैप विवाद पर सरकार की सफाई, डेटा का हवाला

सरकार ने कोविशील्ड के दो डोज के बीच के गैप को बढ़ाने के अपने फैसले का बचाव किया.

क्विंट हिंदी
कोरोनावायरस
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सरकार ने कोविशील्ड के दो डोज के बीच के गैप को बढ़ाने के अपने फैसले का बचाव किया
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सरकार ने कोविशील्ड के दो डोज के बीच के गैप को बढ़ाने के अपने फैसले का बचाव किया
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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केंद्र सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविड वैक्सीन, कोविशील्ड के दो डोज के बीच के गैप को बढ़ाने के अपने फैसले का बचाव किया है. सरकार ने कहा है कि ये फैसला साइंटिफिक सबूतों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने ट्विट में लिखा, “डेटा के मूल्यांकन के लिए भारत के पास एक मजबूत तंत्र है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है!”

13 मई को केंद्र सरकार ने कोविड वर्किंग ग्रुप के सुझाव को मानते हुए कोविशील्ड के दो डोज के बीच के गैप को 6-8 हफ्तों से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया था.

नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) के कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन, डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि वैक्सीन के डोज के इंटरवल को बढ़ाने का फैसला एडिनोवेक्टर टीकों के व्यवहार के संबंध में वैज्ञानिक कारणों पर आधारित है. यूनाइटेड किंगडम (UK) के स्वास्थ्य विभाग की कार्यकारी एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड द्वारा इस साल अप्रैल के अंतिम सप्ताह में जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए अरोड़ा ने बताया कि 12 हफ्तों का गैप होने से वैक्सीन की प्रभावशीलता 65% से 88% के बीच होती है.

जब उनसे सरकार द्वारा कोविशील्ड डोज के बीच बढ़ाए गए अंतर से संबंधित सवाल किए गए तो, उन्होंने कहा, “यह वो आधार था जिसके बाद उन्होंने (UK ने) अल्फा वेरिएंट के कारण अपने यहां महामारी के प्रकोप पर काबू पाया. UK इससे बाहर आने में सक्षम था, क्योंकि उन्होंने जो गैप रखा था, वो 12 हफ्ते था.”

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“हमने ये भी सोचा कि ये एक अच्छा विचार है, क्योंकि हमारे पास इसका वैज्ञानिक कारण हैं कि जब अंतराल बढ़ाया जाता है, तो एडेनोवेक्टर टीके बेहतर प्रतिक्रिया देते हैं. इसलिए 13 मई को अंतराल को बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने का फैसला लिया गया.”
डॉ एनके अरोड़ा, कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन

उन्होंने स्पष्ट किया कि कोविड वर्किंग ग्रुप ने बिना किसी असहमति के ये फैसला लिया. उन्होंने कहा, “इस मुद्दे पर NTAGI की बैठक में बिना किसी असहमति के फिर से चर्चा की गई. सिफारिश की गई थी कि वैक्सीन के बीच गैप 12-16 हफ्ते होना चाहिए.”

अरोड़ा ने कहा कि चार हफ्ते का पहला फैसला उस समय उपलब्ध ब्रिजिंग टेस्टिंग डेटा पर आधारित था और दो खुराक के बीच अंतर में वृद्धि उन अध्ययनों पर आधारित थी, जो अंतराल में वृद्धि के साथ उच्च प्रभावकारिता दिखाते थे.

इस बारे में पूछे जाने पर कि NTAGI ने अंतराल को पहले 12 हफ्ते तक क्यों नहीं बढ़ाया, उन्होंने कहा, “हमने तय किया कि हमें यूके (एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता) से जमीनी स्तर के डेटा की प्रतीक्षा करनी चाहिए.”

उन्होंने ये भी कहा कि कनाडा, श्रीलंका और कुछ अन्य देशों जैसे अन्य उदाहरण हैं, जो एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के लिए 12-16 हफ्ते के गैप का रख रहे हैं, जो कि कोविशील्ड वैक्सीन के समान है.

(IANS के इनपुट्स के साथ)

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