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कोरोना वायरस महामारी का कहर बढ़ने के बीच भारत ने COVID-19 वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए विदेश में बनने वाली वैक्सीनों को मंजूरी देने की प्रक्रिया तेज कर दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इसके तहत विदेशी वैक्सीन के एलिजिबल मैन्युफैक्चरर्स को भारत में लोकल क्लिनिकल ट्रायल्स की जरूरत नहीं होगी.
देश में लगभग हर रोज नया रिकॉर्ड बनाने वाले कोरोना वायरस के नए मामलों और कई राज्यों की तरफ से 'वैक्सीन की कमी' की शिकायतों के बीच भारत ने हाल ही में रूसी COVID-19 वैक्सीन Sputnik V को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है. हालांकि, भारत सरकार को इस वैक्सीन के साथ-साथ दूसरी विदेशी वैक्सीन के मामले में उनकी ऊंची कीमत और उपलब्धता में देरी की चुनौतियां से जूझना पड़ सकता है.
भारत के COVID-19 टीकाकरण अभियान में अभी दो वैक्सीन (Covishield और Covaxin) का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की Covishield को दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बना रहा है. ऐसे में कम समय में ज्यादा खुराकों की उपलब्धता को लेकर इस वैक्सीन पर भारत की निर्भरता अभी तक ज्यादा रही है. भारत सरकार SII से लगभग 2 डॉलर प्रति खुराक पर वैक्सीन खरीद रही है. अब देश में जिन प्रमुख विदेशी वैक्सीन के आने की संभावना जताई रही है, उनमें से सभी की कीमत इस कीमत से ज्यादा है.
मगर भारत ने किसी भी प्रमुख विदेशी वैक्सीन के मामले में इस तरह का निवेश कर कोई डील नहीं की थी. ऐसे में भारत के लिए विदेशी वैक्सीन्स को कम कीमत पर हासिल करना आसान नहीं होगा. इसे दो उदाहरणों के जरिए समझने की कोशिश करते हैं:
अंग्रेजी अखबार द इंडियन के मुताबिक, अमेरिकी कंपनी फाइजर की वैक्सीन को विकसित करने में यूरोपीय संघ ने आर्थिक मदद की थी और ऐसा करके उसने अमेरिका (19.50 डॉलर) की तुलना में इस वैक्सीन की कम कीमत (14.70 डॉलर प्रति खुराक) को सुरक्षित कर लिया.
मॉडर्ना वैक्सीन के विकास के लिए अमेरिकी सरकार ने मदद की थी, ऐसे में यह वैक्सीन अमेरिका को 15 डॉलर प्रति खुराक की कीमत पर पड़ रही है, जबकि यूरोपीय संघ इसके लिए 18 डॉलर प्रति खुराक चुका रहा है.
एक खुराक वाली जॉनसन एंड जॉनसन भी महंगी वैक्सीन है, जो यूरोपीय संघ को करीब 8.50 डॉलर प्रति खुराक की कीमत पर मिल रही है.
बात Sputnik V की करें तो भारत ने भले ही इसे मंजूरी दे दी है, लेकिन अभी तक इस बात कोई ऐलान नहीं हुआ है कि सरकार इसे किस कीमत पर खरीदेगी.
RDIF के CEO किरिल दिमित्रेव भी हाल ही में इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि बाकी बाजारों में Sputnik V एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की तुलना में ज्यादा महंगी है.
फाइजर, मॉर्डना और जॉनसन एंड जॉनसन के साथ-साथ नोवावैक्स वैक्सीन के भी भारत में आने की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि, इन वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद भी ये भारत को तुरंत मिल जाएंगी, इसमें मुश्किलें हैं. पहली वजह है उत्पादन कौन, कहां करेगा ये अभी तय नहीं है. दूसरी बात ये कंपनियों पहले वहां सप्लाई करेंगी जहां के लिए पहले ही करार कर चुकी हैं.
भारत में Sputnik V की उपलब्धता को लेकर RDIF के CEO किरिल दिमित्रेव ने उम्मीद जताई है कि यह वैक्सीन मई में भारत में लॉन्च हो सकती है. हालांकि उन्होंने यह भी माना कि इसके बाद वैक्सीन की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में वक्त लग सकता है. Sputnik V को पांच भारतीय कंपनियां बनाएंगी लेकिन वो सप्लाई भारत में करेंगी या बाहर अभी तय नहीं है. भारत में सप्लाई के लिए कोई करार हुआ है अभी ये बात सामने नहीं है, कीमत पर अड़ेंगे की बात हम आपको बता ही चुके हैं.
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