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कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन को प्रमुख हथियार माना गया है. यही कारण है कि दुनियाभर में करोड़ों का टीकाकरण किया जा चुका है. लेकिन जरूरी नहीं कि बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन करने के बाद भी वहां कोरोना का प्रकोप कम हो जाए. यहां भी दो अलग-अलग नतीजे देखने को मिल रहे हैं. कुछ देश हैं जहां संक्रमण पर ब्रेक लग रहा है, वहीं कुछ देशों में कोरोना अब तक बेलगाम है है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...
आज दुनिया के कई देश अपनी आबादी का तेजी से वैक्सीनेशन कर रहे हैं. फास्ट वैक्सीनेशन के पीछे एक मात्र तर्क कोरोना संक्रमण को रोकना है. लेकिन व्यापक टीकाकरण के बावजूद भी अलग-अलग देशों में एक-दूसरे से उलट परिणाम देखने के मिल रहे हैं.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक वैक्सीनेशन के बाद भी दो अलग-अलग परिणामों की पीछे की प्रमुख वजह विभिन्न प्रकार के टीके हैं. दुनिया के विभिन्न देशों में तरह-तरह की वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है.
जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर टीकाकरण हो रहा है उससे प्राप्त आंकड़ें बताते है कि मॉडर्ना, फाइजर और बायोएनटेक द्वारा विकसित मैसेंजर आरएनए शॉट्स लोगों को संक्रामक बनने बचाते हैं, इससे आगे चलकर वायरस के ट्रांसमिशन को कम करने में मदद मिलती है. यह अप्रत्याशित तौर पर अतिरिक्त लाभ है, क्योंकि पहली लहर के दौरान कोविड वैक्सीन को इस लक्ष्य से बनाया गया था कि इससे लोगों को गंभीर रुप से बीमार होने से बचाया जा सके. जबकि अन्य वैक्सीन केवल लोगों को कोविड से मौत और गंभीर रुप से बीमार होने में बचाती हैं.
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी में कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर निकोलाई पेत्रोव्स्की ने कहा है कि "आगे चलकर यह ट्रेंड बढ़ता हुआ देखने को मिलेगा. क्योंकि देशों को यह पता चलेगा कि कुछ टीके दूसरे टीकों की तुलना में बेहतर हैं.’ जहां तक अन्य वैक्सीन के प्रयोग की बात है तो “अभी कुछ नहीं से तो कुछ बेहतर है” उन्होंने कहा कि, कुछ डोज का कोविड प्रसार को रोकने में बहुत कम लाभ हो सकता है, भले ही वे मौत या गंभीर बीमारी के जोखिम को कम कर दें.’
न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी, सिडनी की एपिडिमियोलॉजिस्ट रैना मैकइंटायर ने कहा कि इजरायल में फाइजर-बायोएनटेक शॉट के साथ टीकाकरण कराने वाले लाखों लोगों पर हुए अध्ययन से पता चला है कि mRNA डोज ने 90% से अधिक एसिम्पटोमेटिक संक्रमणों को रोका है.
अमेरिका में लगभग 40 फीसदी आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया गया है इसमें से ज्यादातर लोगों को mRNA शॉट्स लगाए गए हैं. इसकी वजह से पिछले चार महीनों में हर दिन सामने आने वाले नए मामलों में 85 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है. इसी महीने सीडीसी ने कहा है कि अमेरिका में जिन लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है वे बिना मास्क या सोशल डिस्टेंसिंग के इकट्ठा हो सकते हैं.
यही वजह है कि अधिकांश देश गैर-mRNA शॉट्स मुख्य रूप से एस्ट्राजेनेका से लेकर चीनी डेवलपर्स सिनोफार्मा और सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड तक निर्भर हैं. इन वैक्सीन में वायरस के निष्क्रिय रूप का उपयोग किया जाता है. क्लीनिकल ट्रायल्स के दौरान इन वैक्सीन ने कोविड को रोकने में 50% से 80% के बीच इफिसिएंसी रेट दिखाया है, जबकि mRNA वाले टीकों में यह 90% से अधिक है.
एस्ट्राजेनेका ने यूके कैंपेन की सफलता के पीछे अपने शॉट्स को श्रेय देने का काम किया है जबकि वहां के परिणामों में फाइजर और बायोएनटेक के mRNA इनोक्यूलेशन का प्रभाव भी शामिल है. यूके में कोविड-19 संक्रमण किसी भी शॉट की पहली खुराक के बाद 65 फीसदी तक गिर गया, जबकि घर के अंदर होने वाले ट्रांसमिशन में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है. सिनोफार्म ने इस पर तुरंत जवाब नहीं दिया है.
सेशेल्स ने अपनी लगभग 65 फीसदी आबादी का एस्ट्राजेनेका और सिनोफार्म शॉट्स के साथ पूरी तरह से टीकाकरण करवाया है. बड़ी तादात में वैक्सीनेशन होने के बाद भी यहां इस महीने साप्ताहिक नए संक्रमण तेजी से बढ़े हैं, जिनमें से 37 फीसदी कोविड मरीजों को पहले ही अपनी दो डोज मिल चुकी हैं. संक्रमण के बढ़ते मामले के बाद स्थानीय अधिकारियों को स्कूलों को बंद करने, खेल आयोजनों को रद्द करने और घरेलू समारोहों पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रेरित किया है.
ऑकलैंड विश्वविद्यालय की वैक्सीनोलॉजिस्ट हेलेन पेटौसिस-हैरिस ने कहा है कि mRNA टीकों तक पहुंच के बिना देशों के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है. गंभीर मामलों की संख्या को कम करने के लिए उपलब्ध टीकों का उपयोग करने के बाद, देश ऐसे शॉट्स के साथ बाकी संक्रमण पर रोक लगा सकते हैं जो उपलब्ध होने पर इसे फैलने से रोकते हैं.
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