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नोवेल कोरोना वायरस की उत्पत्ति कैसे हुई, दुनियाभर में इस बात पर एक बार फिर चर्चा तेज है. इस बीच एक स्टडी में दावा किया गया है कि चीनी वैज्ञानिकों ने वुहान स्थित एक लैब में वायरस बनाया, फिर कोशिश की कि ऐसा लगे कि यह वायरस चमगादड़ों से विकसित हुआ है.
डेली मेल ने रविवार को ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डल्गलिश और नॉर्वे साइंटिस्ट डॉ. बिर्गर सोरेनसेन के एक नए रिसर्च पेपर का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा कि नोवेल कोरोना वायरस SARS-CoV-2 का कोई "विश्वसनीय प्राकृतिक पूर्वज" नहीं है और इसे चीनी वैज्ञानिकों ने बनाया गया था जो वुहान लैब में 'गेन ऑफ फंक्शन' प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे.
हालांकि, डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों की ओर से चीन में महामारी के केंद्र वुहान सहित बाकी स्थानों पर अभियान के संचालन के तौर-तरीकों और बीजिंग से पर्याप्त सहयोग की कमी को लेकर अमेरिका और कुछ अन्य देशों ने चिंता जताई है.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को अगले तीन महीनों में उन्हें इस बात पर रिपोर्ट करने का आदेश दिया कि COVID-19 वायरस पहली बार चीन में किसी जानवर स्रोत से सामने आया या लैब एक्सीडेंट से.
बाइडेन ने कहा कि एजेंसियों को "सूचना जुटाने और विश्लेषण करने के अपने प्रयासों को दोगुना करना चाहिए, जिससे हम एक निश्चित निष्कर्ष के करीब पहुंच सकें."
अमेरिकी राष्ट्रपति ने बताया कि मार्च में उन्होंने वायरस की उत्पत्ति पर एक रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें यह पता लगाना शामिल था कि "क्या यह किसी संक्रमित जानवर के साथ इंसान के संपर्क से सामने आया या फिर लैब एक्सीडेंट से."
उन्होंने कहा कि फिलहाल अमेरिकी खुफिया समुदाय 'दो संभावित परिदृश्यों' के इर्द-गिर्द है, लेकिन इस सवाल को लेकर एक निश्चित निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है.
चीन ने बुधवार को यह सवाल टाल दिया कि वो वुहान विषाणु विज्ञान संस्थान (WIV) से COVID-19 के लीक होने के आरोपों की स्वतंत्र जांच की अनुमति देगा या नहीं. वहीं चीन के शोधार्थियों ने आशंका जताई है कि हो सकता है कि यह संक्रमण पैंगोलिन (एक प्रकार की छिपकली) से इंसान तक पहुंचा हो.
कोरोना वायरस की उत्पत्ति पर स्वतंत्र जांच की मांग अमेरिका की नई रिपोर्ट के बाद और तेज हुई है जिसमें कहा गया है कि WIV के कुछ शोधकर्ता चीन द्वारा 30 दिसंबर 2019 को COVID-19 के आधिकारिक ऐलान से पहले ही बीमार पड़ गए थे.
नोवेल कोरोना वायरस की उत्पत्ति लंबे समय से चर्चा का विषय रही है क्योंकि कई वैज्ञानिकों और नेता लगातार यह आशंका जताते रहे हैं कि यह घातक वायरस किसी प्रयोगशाला से ही लीक हुआ है.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप भी उन लोगों में शुमार थे, जिन्होंने चीन की प्रयोगशाला से इस घातक वायरस के प्रसार की आशंका का समर्थन किया था.
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