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मुंबई से सटे उल्हासनगर में बिना साफ-सफाई के कोरोना टेस्ट किट में उपयोग होने वाले स्वैब स्टिक की पैकिंग का मामला सामने आया है. इस लापरवाही को लेकर प्रशासन तब एक्शन में आया जब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक घर में कुछ औरतें और बच्चे पैकिंग कर रहे हैं. जमीन पर किट के पैकेट बिखरे पड़े हैं. पैक करने वालों के हाथों में ग्लब्स भी नहीं हैं.
उल्हासनगर के कई घरों में ऐसे ही स्वैब स्टिक की पैकिंग हो रही है. जिस शख्स ने लोगों को इन्हें पैक करना का कॉन्ट्रेक्ट दिया था, वो अब फरार है. मेडिकल एक्पर्ट्स बताते हैं कि अगर इस तरह बिना साफ सफाई के पैक हुई स्वैब स्टिकसे किसी शख्स की टेस्टिंग की जाती है, तो उसे वायरल या फंगल इंफेक्शन हो सकता है.
एक निजी लैब में कोरोना टेस्टिंग करने वाले हेल्थवर्कर मो. आदिल ने क्विंट को बताया कि वीडियो में बच्चे स्वैब स्टिक पैक करते दिख रहे हैं. स्वैब स्टिक टेस्टिंग किट का सबसे अहम हिस्सा है और इसे ही नाक या मुंह में डालकर टेस्ट के लिए सैंपल लिया जाता है. जाहिर है बिना साफ-सफाई के इसका पैक होना लापरवाही तो है ही, खतरनाक भी है.
सोशल मीडिया पर इस लापरवाही का वीडियो वायरल होने के बाद ठाणे पुलिस और प्रशासन एक्शन में आए. जिस जगह का वीडियो है वहां ठाणे पुलिस ने रेड भी मारी. पुलिस के मुताबिक, इस तरह के कई घरों में आर्टिफिशियल किट बनाई जा रही है.
कोरोना महामारी से निपटने के लिए बनाए गए वैज्ञानिकों के संगठन ISRC के को फाउंडर डॉ. एस कृष्णास्वामी के मुताबिक, इस तरह पैक की गई स्वैब स्टिक को नाक में डालने से वायरल इंफेक्शन, फंगल इंफेक्शन का खतरा है. वहीं अगर स्वैब पैक कर रहे शख्स को कोई संक्रामक बीमारी है तो जाहिर है ये बीमारी उस व्यक्ति तक भी पहुंच सकती है, जिसने इस स्वैब से टेस्ट कराया है.
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