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हवा के संपर्क में आने के 20 मिनट के अंदर ही कमजोर होने लगता है कोविड - स्टडी

स्टडी के मुताबिक, इस वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए वेटिंलेशन सार्थक उपाय है.

IANS
कोरोनावायरस
Updated:
<div class="paragraphs"><p>भारत में तेजी से बढ़ते कोविड केस</p></div>
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भारत में तेजी से बढ़ते कोविड केस

(फोटो: PTI)

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हवा में आने के पहले पांच मिनट के भीतर ही कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण फैलाने की क्षमता में काफी कमी आ जाती है और 20 मिनट के अंदर कोरोना वायरस 90 प्रतिशत तक बेदम हो जाता है. एक नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है.

अंग्रेजी अखबार द गार्जियन में छपी खबर में स्टडी के बारे में बताया गया है. कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के बीच इसे लेकर जारी शोध एवं विमशरें में नई जानकारियां सामने आ रही हैं. अब एक नए शोध में सामने आया है कि यह खतरनाक वायरस हवा के संपर्क में आने के 20 मिनट बाद संक्रमण करने की अपनी क्षमता को काफी हद तक खो देता है.

शोध के निष्कर्ष में यह भी सामने आया कि इस वायरस से बचने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन करना है.

स्टडी के मुताबिक, इस वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए वेटिंलेशन (हवादार जगह) एक सार्थक उपाय है.

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के एरोसोल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर और इस रिसर्च के प्रमुख लेखक जोनाथन रीड के मुताबिक, लोग खराब वेटिंलेशन वाले इलाके में रहकर सोचते हैं कि एयरबोर्न संक्रमण से दूर रहेंगे. उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कहता कि ऐसा नहीं है, मगर यह भी तय है कि एक दूसरे के करीब रहने से ही कोरोना संक्रमण फैलता है.

उन्होंने कहा कि जब एक शख्स से दूसरे शख्स के बीच कुछ दूरी होती है, तो वायरस अपनी संक्रामकता खो देता है क्योंकि ऐसे में उसका एरोसोल पतला होता जाता है. ऐसी स्थिति में वायरस कम संक्रामक होता है.

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शोधकर्ताओं ने हवा में वायरस के फैलने को लेकर रिसर्च किया है, जिसमें वायरस को दो इलेक्ट्रिक रिंगों के बीच हवा में तैरने दिया गया है. शोधकतार्ओं ने वायरस युक्त कण उत्पन्न करने के लिए एक उपकरण विकसित किया और उन्हें कड़े नियंत्रित वातावरण में पांच सेकंड और 20 मिनट के बीच कहीं भी दो इलेक्ट्रिक रिंगों के बीच तैरने की इजाजत दी गई.

रिसर्च में वैज्ञानिकों ने देखा कि एक इंसान के फेफड़े से निकलने के बाद कोरोना के वायरस का पानी काफी तेजी से खत्म हो जाता है और वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड के लोअर लेवल के संपर्क में आने के बाद वायरस की क्षमता प्रभावित होती है.

रिपोर्ट के मुताबिक, हवा में आने के कुछ देर बाद कार्बन डाईऑक्साइड मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने की वायरस की क्षमता को प्रभावित करता है.

रिसर्चर्स ने पाया कि, किसी ऑफिस के एक ऐसे वातावरण में, जहां आसपास के क्षेत्र की आद्र्रता आमतौर पर 50 प्रतिशत से कम होती है, वायरस पांच सेकंड के भीतर अपनी संक्रमण फैलाने की 50 प्रतिशत क्षमता खो देता है और धीरे धीरे वायरस बेअसर होने लगता है.

इसके साथ ही, ज्यादा आद्र्र वातावरण में, उदाहरण के लिए, स्टीम रूम या शॉवर रूम में वायरस की रफ्तार काफी धीमी हो जाती है. हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि तापमान ने वायरल संक्रामकता पर थोड़ा अंतर डाला है और गर्म वातावरण में इस वायरस की रफ्तार ज्यादा तेज होती है.

ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए जोनाथन रीड ने मास्क पहनने के महत्व पर प्रकाश डाला और इसे पहनने की अपील की.

शोधकर्ताओं को सभी तीन कोविड वेरिएंट में ऐसा ही समान प्रभाव देखने को मिला, जिसमें अल्फा भी शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि शोधकर्ता आने वाले हफ्तों में ओमिक्रॉन वैरिएंट के साथ भी प्रयोग शुरू करने की उम्मीद कर रहे हैं.

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Published: 13 Jan 2022,10:42 AM IST

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