Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Coronavirus Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोरोना मौतों के आंकड़े छिपाने की खबरों को सरकार ने किया खारिज, बताया अटकलबाजी

कोरोना मौतों के आंकड़े छिपाने की खबरों को सरकार ने किया खारिज, बताया अटकलबाजी

कोविड जैसे गंभीर और लंबे समय तक के स्वास्थ्य संकट के दौरान दर्ज की गई मौतों में हमेशा अंतर रहेगा-Health Ministry

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कोरोनावायरस
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<div class="paragraphs"><p>कोविड से मौत की अंडररिर्पोटिंग की खबर गलत :Health Ministry</p></div>
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कोविड से मौत की अंडररिर्पोटिंग की खबर गलत :Health Ministry

(फोटो: PTI)

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भारत में कोविड-19 (COVID-19) से मौत के आंकड़ों को कम संख्या में बताने से जुड़ी मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि 'ये बिना किसी ठोस आधार के अनुमान और अटकलबाजी पर आधारित हैं'.

बयान जारी करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसी रिपोर्टों को 'गलत निष्कर्ष' करार दिया, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली(HMIS) के आंकड़ों और सिविल पंजीकरण व्यवस्था(CRS) के बीच मौजूद अंतर के आधार पर कोविड-19 मौतों की अंडररिर्पोटिंग का दावा किया गया था.

2.5 लाख मौतों को कोरोना से जोड़ना गलत: स्वास्थ्य मंत्रालय

मीडिया रिपोर्ट्स ने कथित तौर पर HMIS में रिपोर्ट की गई मौत की संख्या का हवाला दिया था और कहा था कि अन्य जानकारियों के अभाव में इन सभी मौतों की कोविड-19 से हुई मौतों में गिनती की जानी चाहिए. रिपोर्ट में माना गया कि 2.5 लाख से अधिक मौतें अज्ञात कारणों से हुईं.

लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस दावे को सिरे से नकारते हुए कहा कि व्यवहारिक डेटा के आधार के बिना किसी भी मौत को कोविड-19 से हुई मौत में जोड़ना गलत है और इस तरह का 'निष्कर्ष कोरी कल्पना' है.

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आंकड़ों में कर रहे हैं WHO के नियमों का पालन: स्वास्थ्य मंत्रालय

बयान में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में आंकड़ों को अपडेट करने के लिए जिम्मेदारियां दी गई हैं और इसका सावधानीपूर्वक खयाल रखा जा रहा है .मंत्रालय के अनुसार मौत की संख्या में किसी भी विसंगति को टालने के लिए ICMR ने 'भारत में कोविड-19 संबंधित मौत की उचित रिकॉर्डिंग के लिए गाइडलाइन जारी की है.

इस गाइडलान का उद्देश्य विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) द्वारा मृत्यु दर कोडिंग के लिए अनुशंसित ICD-10 कोड के अनुसार सभी मौतों को सही तरह से रिकॉर्डिंग करना है.

मंत्रालय ने आगे कहा कि 'कोविड-19 महामारी जैसे गंभीर और लंबे समय तक के सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के दौरान दर्ज की गई मौतों में हमेशा अंतर रहेगा' और मृत्यु दर पर अच्छी तरह से की गई रिसर्च स्टडी आमतौर पर उस घटना के बाद किए जाती हैं, जब उससे जुड़े विश्वसनीय डाटा उपलब्ध होते हैं.

अब सरकार ने एक बार फिर तमाम रिपोर्ट्स को एक ही साथ खारिज कर दिया है. लेकिन सवाल है कैसे तमाम रिपोर्टर्स की ग्राउंड रिपोर्ट्स को झुठलाया जा सकता है? कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गुजरात में मौतों के आंकड़े को गलत साबित करने वाली अखबारों की कई रिपोर्ट्स सामने आईं. इसके अलावा गंगा में बहते शव और नदी किनारे सैकड़ों शवों की दफनाए जाने की तस्वीरें हम सभी ने देखीं.

न्यू-यॉर्क टाइम्स ने जब कोरोना से मौतों के वास्तविक आंकड़ों को सरकारी आंकड़ों से 5 गुना ज्यादा बताया था तब भी सरकार 'नो मोड' में थी. लेकिन बिहार जैसे राज्य के ऑडिट ने दिखाया कि वहां लगभग 40% कोरोना मौतों का हिसाब नहीं था. फिर मौतों के आंकड़े को लेकर हुई रिपोर्ट्स को अटकलबाजी बताना सरकार के लिए इतना आसान कैसे हो सकता है?

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