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ब्रिटेन में हुई एक स्टडी से सामने आया है कि दो अलग-अलग कोरोना वायरस वैक्सीन की खुराक लेना सुरक्षित है, लेकिन इससे हल्के से मध्यम स्तर के लक्षण उभरने की आशंका बढ़ जाती है.
मेडिकल जर्नल ‘लांसेट’ में बुधवार को प्रकाशित रिपार्ट के मुताबिक, रिसर्च टीम ने कहा कि दो तरह के टीकों को मिलाने से अल्पकालिक लक्षण आते हैं लेकिन सुरक्षा संबंधी चिंता की कोई बात नहीं है.
वैज्ञानिकों ने कहा कि इस स्टेज के नतीजे यह बताते हैं कि लोग टीकाकरण के बाद कैसा महसूस करते हैं, अभी यह सामने नहीं आया है कि दो तरह के टीके की खुराक लेने पर प्रतिरोधक क्षमता पर क्या असर होता है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बाल रोग और टीककारण विशेषज्ञ, एसोसिएट प्रोफेसर मैथ्यु स्नेप ने कहा, ‘‘स्टडी के नतीजों से संकेत मिलता है कि टीके की खुराक मिलाने से टीकाकरण के बाद काम से गैरमौजूद रहने के दिनों में बढ़ोतरी हो सकती है और स्वास्थ्य कर्मियों के टीकाकरण की योजना बनाते वक्त इस तथ्य पर विचार करना अहम है.’’
रिसर्चर्स ने बताया है कि वैक्सीन की खुराक मिलाने से हल्के लक्षण जैसे ठंड लगना, थकान, सिरदर्द और बुखार हो सकता है, लेकिन ऐसा थोड़े समय के लिए होगा. उन्होंने बताया कि यह स्टडी 50 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों पर की गई और युवाओं में ऐसे लक्षण ज्यादा हो सकते हैं.
स्टडी करने वालों ने बताया कि रिसर्च में 800 प्रतिभागी शामिल थे. उन्होंने बताया कि चार हफ्ते के अंतर पर एस्ट्राजेनेका की ही दोनों खुराक (इसी प्रकार फाइजर की दोनों खुराक) देने पर 10 में से केवल एक ने बुखार की शिकायत की, वहीं एक खुराक एस्ट्राजेनेका और दूसरी खुराक फाइजर की देने पर 34 फीसदी लोगों ने बुखार की शिकायत की.
पिछले महीने इस स्टडी का और विस्तार किया गया और 1050 प्रतिभागियों पर मॉडर्ना और नोवावैक्स कोविड वैक्सीन के असर को लेकर भी स्टडी की जा रही है.
(PTI के इनपुट्स समेत)
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