Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Coronavirus Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019COVID: किन-किन वैक्सीन से भारत को उम्मीद, कितनी डोज रिजर्व हैं?

COVID: किन-किन वैक्सीन से भारत को उम्मीद, कितनी डोज रिजर्व हैं?

भारत के सामने कई विकल्प, आगामी नतीजों पर काफी कुछ निर्भर

क्विंट हिंदी
कोरोनावायरस
Updated:
सांकेतिक तस्वीर
i
सांकेतिक तस्वीर
(फोटो: iStock)

advertisement

अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना ने 16 नवंबर को ऐलान किया कि उसकी COVID-19 वैक्सीन बीमारी को रोकने में 94.5 फीसदी तक प्रभावी दिखाई देती है. ये ऐलान फेज-3 ट्रायल्स के अंतरिम नतीजों के आधार पर किया गया.

इसके बाद फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर ने 18 नवंबर को ऐलान किया कि उसकी COVID-19 वैक्सीन फेज 3 ट्रायल्स के फाइनल एनालिसिस में 95 फीसदी प्रभावी पाई गई है.

इस बीच, सवाल उठ रहा है कि इन दोनों संभावित वैक्सीन से जुड़े अच्छे नतीजे भारत के लिए कितनी अच्छी खबर लेकर आए हैं. अलग-अलग पहलुओं को टटोलते हुए इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं:

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कब से शुरू हो सकता है इस्तेमाल?

अभी दोनों वैक्सीन की कंपनियों की निगाहें अमेरिकी खाद्य और औषधि प्राधिकरण (यूएसएफडीए) से आपात इस्तेमाल की अनुमति लेने पर होंगी.

न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, अगर यूएसएफडीए मॉडर्ना या फाइजर की संभावित वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की अनुमति देता है, तो साल के अंत से पहले अमेरिका में सीमित आपूर्ति होगी.
(फोटो: iStock)

भारत के लिए कितनी अहम हो सकती हैं ये वैक्सीन?

अभी तक जो जानकारी सामने आई है, उसे देखते हुए प्रभाव से जुड़े आंकड़ों के हिसाब से तो दोनों ही वैक्सीन भारत के लिए अहम साबित हो सकती हैं.

अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के एक आर्टिकल में कहा गया है कि फाइजर या मॉडर्ना के साथ भारत की डील हॉरिजन पर होती नहीं दिखती, लेकिन मॉडर्ना वैक्सीन बेहतर विकल्प होगी क्योंकि इसे कमर्शियल डीप फ्रीजर्स में माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर रखा जा सकता है. वहीं फाइजर वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री सेल्सियस पर रखना होगा. इसके अलावा मॉडर्ना की लंबी शेल्फ-लाइफ डिस्ट्रीब्यूशन को भी आसान बनाएगी.

मॉडर्ना को उम्मीद है कि साल 2020 के अंत तक वो अमेरिका में वैक्सीन की दो करोड़ खुराक तैयार कर लेगी. कंपनी की योजना साल 2021 में 50 करोड़ से एक अरब खुराक का उत्पादन करने की है.

हालांकि, इन दोनों ही वैक्सीन के मामले में, लोगों को कुछ हफ्तों के अंतराल में दो शॉट लेने की जरूरत होगी. ऐसे में भारत की बड़ी जनसंख्या के हिसाब से खुराकें मुहैया कराना दुनिया के किसी भी प्रोड्यूसर के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी.

इन सवालों के जवाब भी मायने रखते हैं

मॉडर्ना और फाइजर, दोनों की ही वैक्सीन mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं. यह टेक्नोलॉजी ह्यूमन सेल्स को कोरोना वायरस के सरफेस प्रोटीन बनाने के जेनेटिक निर्देश देकर काम करती है, जिससे वास्तविक वायरस को पहचानने के लिए इम्यून सिस्टम प्रशिक्षित होता है.

अभी यह साफ नहीं है कि मॉडर्ना या फाइजर वैक्सीन कितने लंबे वक्त तक सुरक्षा दे सकती हैं.

इसके अलावा एक सवाल यह भी है कि ऐसे लोग जो वायरस के संपर्क में आए हैं, क्या ये वैक्सीन उन लोगों को दूसरे लोगों में वायरस फैलाने से भी रोक सकती हैं?

भारत के सामने कई विकल्प, आगामी नतीजों पर काफी कुछ निर्भर

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत पहले ही कई सप्लायर्स से 1.6 अरब खुराकें रिजर्व कर चुका है. मगर भारत ने जिन संभावित वैक्सीन के लिए डील की हैं, अगर उनके नतीजे अच्छे नहीं रहे तो उसे नई डील करने के लिए भी मजबूर होना पड़ सकता है.

भारत की वैक्सीन डील्स में, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की संभावित वैक्सीन को सबसे ज्यादा उम्मीद भरी नजरों से देखा जा रहा है. भारत ने इसकी 500 मिलियन खुराकें रिजर्व की हैं.

एनडीटीवी के मुताबिक, सीरम इंस्टिट्यूट के चीफ अदार पूनावाला ने कुछ दिन पहले ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को लेकर उसे बताया था, ''अगर हम इमर्जेंसी लाइसेंस के लिए नहीं जाते हैं, तो दिसंबर तक हमारे ट्रायल्स खत्म हो जाने चाहिए.''

इसके साथ ही उन्होंने कहा था, ‘’हम पहले 100 मिलियन खुराक उपलब्ध कराने का टारगेट रख रहे हैं. यह 2021 की दूसरी या तीसरी तिमाही तक हो जाना चाहिए.’’

भारत ने नोवावैक्स के साथ भी 1 अरब खुराकें रिजर्व करने की डील की है. इसकी वैक्सीन के लिए अगर सब कुछ सही रहा तो वो 2021 के दूसरे हिस्से तक उपलब्ध हो सकती है. सितंबर में नोवावैक्स और सीरम इंस्टिट्यूट ने एक साल में 2 अरब तक खुराकें बनाने का समझौता भी किया है.
(फोटो: iStock)

इसके अलावा भारत ने रूस की स्पूतनिक V वैक्सीन की 100 मिलियन खुराकें भी रिजर्व की हैं. भारत के पास भारत बायोटेक की वैक्सीन का भी विकल्प है. जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया गया है.

हाल ही में खबर आई थी कि भारत बायोटेक अपनी COVID-19 वैक्सीन को अगले साल दूसरी तिमाही में पेश करने की योजना बना रही है. यह कंपनी फिलहाल तीसरे फेज के ट्रायल्स पर ध्यान दे रही है.

ऐसे में साफ है कि भारत के पास पहले से ही काफी विकल्प मौजूद हैं, मगर भविष्य में किस वैक्सीन के नतीजे कैसे रहते हैं, उसके आधार पर भारत आगे बढ़ता दिखेगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 18 Nov 2020,07:03 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT