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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने देश में कोरोना वायरस महामारी की वजह से माता-पिता खोने वाले या बेसहारा हुए बच्चों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आकड़े पेश किए हैं.
इन बच्चों में से 1224 अब एक अभिभावक के साथ रह रहे हैं, 985 एक परिवार के सदस्य के साथ, जिसे कानूनी अभिभावक के रूप में नामित नहीं किया गया है, जबकि 6612 माता या पिता के साथ रह रहे हैं. इसके अलावा 31 बच्चों को स्पेशल अडोप्शन एजेंसी में भेजा गया है.
बता दें कि हाल ही में NCPCR ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उन बच्चों की जानकारियां अपने पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कहा, जिन्होंने COVID-19 के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खो दिया है.
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 25 मई को ट्वीट कर कहा था, ‘‘भारत सरकार हर उस बच्चे का सहयोग और संरक्षण करने के लिए प्रतिबद्ध है जिन्होंने COVID-19 के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से जानकारी दी गई है कि एक अप्रैल से आज दोपहर 2 बजे तक 577 बच्चों के माता-पिता की कोरोना के कारण मौत हुई है.’’
स्मृति ईरानी के ट्वीट में बताए गए आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए हिंदी अखबार दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट में कहा- 'राजस्थान सरकार ने 28 मई तक एक सर्वे कराया तो इसमें प्रदेशभर में 411 बच्चों के अनाथ होने का आंकड़ा सामने आया. जब एक ही प्रदेश में इतने बच्चे अनाथ हुए हैं तो देशभर में यह आंकड़ा सिर्फ 577 ही कैसे हो सकता है?'
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