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अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, अल्बर्ट बर्ला ने वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों पर जवाब दिया है. बर्ला ने कहा कि वैक्सीन डेवलप करने में कोई स्टेप स्किप नहीं किया गया है और लोगों को इसे लेकर विश्वास होना चाहिए. सीईओ ने ये भी कहा कि वैक्सीन पर काफी राजनीति हो रही है.
न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, बर्ला ने एक वर्चुअल मीटिंग में कहा, “हम कोई स्टेप्स स्किर नहीं किए हैं. नई टेक्नोलॉजी पर आधारित इस वैक्सीन को उसी तरह से टेस्ट किया गया है, जैसे दूसरी वैक्सीन्स को किया जाता है.” बर्ला ने कहा कि ऊंचे स्टैंडर्ड और सुरक्षा के चलते इस वैक्सीन का टेस्ट किया गया है.
बर्ला ने कहा, “हमेशा ऐसे लोग होते हैं जो वैक्सीन को लेकर थोड़े संकोच में रहते हैं, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि वो गलत हैं. मैं सोच सकता हूं कि इस मामले में, प्रोडक्ट्स, वैक्सीन या दवाइयां इतनी जल्दी डेवलप हुईं कि ये और खराब है, क्योंकि इसपर काफी राजनीति हो रही है, खासकर अमेरिका में.”
फाइजर सीईओ ने कहा कि इससे लोग कंफ्यूज होते हैं और उन्हें समझ नहीं आता कि किसपर यकीन करें और किसपर नहीं, क्योंकि इसपर साइंटिफिक चर्चा की जगह राजनीतिक चर्चा हो रही है. वैक्सीनेशन की सुरक्षा पर जोर देते हुए बर्ला ने कहा कि लोगों को ये सोचना होगा कि वैक्सीन नहीं लगवाने का फैसला केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि कई लोगों को प्रभावित करेगा.
न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, फाइजर ने 4 दिसंबर को दी अपनी एप्लीकेशन में, देश में सेल और वितरण के लिए वैक्सीन के इंपोर्ट की इजाजत मांगी है. इसके अलावा फाइजर ने नए ड्रग्स और क्लीनिकल ट्रायल्स रूल्स, 2019 के विशेष प्रावधानों के तहत, भारत की आबादी पर क्लीनिकल ट्रायल की छूट देने का भी अनुरोध किया.
2 दिसंबर को, यूके फाइजर/बायोएनटेक की कोविड वैक्सीन को इजाजत देने वाला पहला देश बना. 8 दिसंबर को, ब्रिटेन की 90 साल की महिला, मार्गरेट कीनन, ट्रायल्स के बाहर इस वैक्सीन का डोज पाने वालीं शख्स बनीं. इस डोज के 21 दिनों के बाद वैक्सीन की दूसरी डोज दी जाएगी.
बहरीन ने भी 4 दिसंबर को फाइजर/बायोएनटेक की वैक्सीन को इमरजेंसी यूज के लिए अनुमति दी.
अमेरिका की फाइजर और उसके जर्मन पार्टनर बायोएनटेक द्वारा बनाई गई वैक्सीन ट्रायल्स में 95 फीसदी तक कारगर दिखी है. कंपनी ने अपने बयान में कहा था कि उसके ट्रायल्स में कैंडिडेट्स में सुरक्षा को लेकर भी कोई परेशानी नहीं दिखी है. इस वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री सेल्सियस के अल्ट्रा-कोल्ड तापमान में स्टोर करना पड़ता है.
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