Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Coronavirus Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोविड के इलाज के लिए दवाई नहीं लिख सकते AYUSH डॉक्टर्स : SC

कोविड के इलाज के लिए दवाई नहीं लिख सकते AYUSH डॉक्टर्स : SC

सरकार ने कहा कि होम्योपैथ डॉक्टर, सरकार द्वारा अप्रूव टैबलेट को इम्यूनिटी बूस्टर या बचाव के तौर पर लिख सकते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि आयुष और होमियोपैथ डॉक्टर्स कोरोना वायरस (Coronavirus) से इलाज के लिए दवाई नहीं लिख सकते हैं. कोर्ट ने आयुष डॉक्टरों के कोविड के इलाज के रूप में दवाओं के प्रचार करने या उन्हें लिखने पर प्रतिबंध लगाने के केरल हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

जस्टिस अशोक भूषण, सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की तीन जजों वाली बेंच ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया है.

डॉ. एकेबी सद्भावना मिशन स्कूल ऑफ होमियो फार्मेसी ने 21 अगस्त को आए केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी. केरल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में आयुष डॉक्टरों के कोविड के इलाज के रूप में दवाईयों के प्रचार और लिखने पर प्रतिबंध लगा दिया था. हाईकोर्ट ने केंद्र की 6 मार्च 2020 को जारी एडवाइजरी के मुताबिक, आयुष डॉक्टरों को इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में दवाइयां लिखने की छूट दी थी.

केरल हाईकोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को दोषी आयुष डॉक्टरों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत उचित कार्रवाई करने की स्वतंत्रता दी थी.

बार एंड बेंच के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि होम्योपैथिक डॉक्टर, सरकार द्वारा अप्रूव टैबलेट और मिश्रण को केवल इम्यूनिटी बूस्टर और कोविड से बचाव के तौर पर लिख सकते हैं, न कि इलाज के रूप में. आयुष मंत्रालय ने कहा कि आयुष डॉक्टरों के लिए गाइडलाइंस जारी करते वक्त साफ कहा गया था कि वो इन दवाइयों को बचाव के तौर पर लिख सकते हैं, न कि इलाज के तौर पर.

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कोविड के इलाज में आयुर्वेद की भूमिका पर संदेह

इससे पहले, अक्टूबर में आयुर्वेद इलाज को लेकर भारी विवाद हुआ था. केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने कोविड के लिए नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया था. प्रोटोकॉल में आहार संबंधी उपायों, योग और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और अश्वगंधा और आयुष-64 जैसी चीजों को कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम और, मध्यम और बिना लक्षण वाले रोगियों के लिए इलाज के रूप में बताया गया था.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इन प्रोटोकॉल के वैज्ञानिक आधार पर सवाल उठाया था. IMA ने स्वास्थ्य मंत्री से मेडिकल एविडेंस की मांग करते हुए पूछा था कि उनके कितने साथियों ने इस प्रोटोकॉल के तहत इलाज लिया है.

आर्युवेद डॉक्टरों को सर्जरी की ट्रेनिंग दिए जाने पर भी मेडिकल समुदाय में बड़ा विवाद खड़ा हो चुका है.

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