बिहार चुनाव: बिन मास्क बूथ पर आए तो क्या होगा?देखिए पूरी गाइडलाइंस
बिहार विधानसभा चुनाव:वोटर के लिए पोलिंग बूथ पर क्या बदलने वाला है?
कौशिकी कश्यप
बिहार चुनाव
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बिहार: वोटरों के लिए क्या हैं गाइडलाइंस?
(फोटो: क्विंट हिंदी)
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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
कोरोना की मार और चुनाव मोड में बिहार. क्या होगा अगर कोई ऐसा वोटर बूथ पर पहुंच जाए जिसका टेम्परेचर ज्यादा है? क्या कोरोना पॉजिटिव लोगों को वोट देने दिया जाएगा? और जो लोग बिना मास्क लगाए वोट देने आ गए उनका क्या होगा? महामारी के बीच चुनाव काफी बदला हुआ नजर आने वाला है तो आखिर वोटर्स के लिए पोलिंग बूथ पर क्या कुछ बदलने वाला है?
मौजूदा विधानसभा कार्यकाल 29 नवंबर तक है तो चुनाव अक्टूबर-नवंबर में किसी भी समय कराया जा सकता है, ऑफिशियल घोषणा होनी बाकी है. लेकिन तैयारियों का सिलसिला शुरू हो चुका है. इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया चुनाव कराने को लेकर गाइडलाइन जारी कर चुका है.
बिहार के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर एचआर श्रीनिवास के 24 अगस्त को चुनावी तैयारियों को लेकर जिलों के इलेक्शन कमिश्नर के साथ मीटिंग के बाद हर डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिस एक्शन मोड में आ गया है.
बिहार के 1,06,000 पोलिंग बूथ पर इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के गाइडलाइंस कैसे लागू किए जाएंगे, इसे लेकर विचार-विमर्श किया गया. ये गाइडलाइन क्या होंगे जानिए.
बूथ का सैनिटाइजेशन जरूरी होगा. चुनाव से एक दिन पहले सारे बूथ सैनिटाइज किए जाएंगे.
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके, इसलिए एक पोलिंग बूथ पर ज्यादा से ज्यादा 1000 वोटर्स ही वोट डालेंगे.
पोलिंग बूथों पर हेल्प डेस्क द्वारा पहले 'आओ पहले पाओ' के आधार पर टोकन देने की व्यवस्था होगी ताकि लाइन में ज्यादा भीड़ न हो और इंतजार न करना पड़े.
पोलिंग बूथ पर शेडेड वेटिंग एरिया होंगे, जहां वोटर टोकन के साथ अपनी बारी का इंतजार करेंगे. महिलाओं-पुरुषों के लिए अलग-अलग वेटिंग एरिया होगा.
15-20 लोगों के हिसाब से तीन लाइन होंगी और लोगों के बीच 6 फीट की दूरी जरूरी होगी इसके लिए मार्कर बनाए जाएंगे. महिलाओं, पुरुषों, सीनियर सिटिजन और दिव्यांग लोगों के लिए अलग-अलग लाइनें होंगी.
इसके लिए भी व्यवस्था की गई है. 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए पोस्टल बैलेट का ऑप्शन होगा. ठीक ऐसे ही कोरोना इंफेक्टेड, सस्पेक्ट और होम क्वॉरंटीन वोटरों के लिए भी इन ऑप्शन को अपनाने की सुविधा होगी.
पोस्टल बैलेट
पोस्टल बैलेट की सुविधा सिर्फ आर्मी पर्सनल या चुनावी ड्यूटी में लगे ऑफिशियल्स के लिए होती हैं. चुनाव आयोग पहले ही चुनावी क्षेत्र में पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या तय कर लेता है. रिटर्निंग ऑफिसर नॉमिनेशन विदड्रॉल के लास्ट डेट के 24 घंटे के अंदर बैलेट पेपर को प्रिंट कर उसे डिस्पैच करता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मतदान की तारीख से पहले बैलेट पेपर संबंधित वोटर के पास पहुंच जाए और उसके पास मतगणना से पहले उसे वापस भेजने के लिए पर्याप्त समय हो.
इसके अलावा कई बेसिक गाइडलाइन हैं, जिनका कोरोना के मद्देनजर हर जगह पालन किया जा रहा है.
पोलिंग बूथ के एंट्री पॉइंट पर वोटरों के लिए थर्मल स्कैनर होगा.
थर्मल स्कैनिंग में अगर पहली रीडिंग में टेम्परेचर ज्यादा होगा तो थोड़ी देर में दोबारा चेक किया जाएगा. टेम्परेचर फिर भी कम नहीं होता है तो टोकन या सर्टिफिकेट दिया जाएगा और मतदान के आखिरी घंटों में उन्हें बुलाया जाएगा. मतदान के आखिरी घंटों में ऐसे वोटरों को ही वरीयता दी जाएगी.
कोविड-19 मरीज जो क्वॉरंटीन में हों वो हेल्थ अथॉरिटी की देखरेख में मतदान के आखिरी घंटों में अपना वोट डाल सकेंगे.
सैनिटाइजर, साबुन और पानी की व्यवस्था हर एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर होगी.
जहां भी संभव हो बूथ ऐप का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि वोटर लिस्ट में नाम चेक करने की झंझट न हो. क्यूआर कोड(QR code) स्कैन कर वोटर की पहचान हो सकती है और भीड़ से भी काफी हद तक बचा जा सकता है.
फेस मास्क बेहद जरूरी है लेकिन अगर आप ले जाना भूल गए या जिन वोटरों ने मास्क नहीं पहना होगा उनके लिए मास्क रिजर्व में होगा, और दिया जाएगा.
वोटर को रजिस्टर पर साइन और ईवीएम पर वोट डालने के लिए हैंड ग्लव्स दिए जाएंगे.
कंटेनमेंट जोन के वोटर्स के लिए अलग से गाइडलाइन जारी की जा सकती हैं.
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