Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Bihar election  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बिहार: ‘लेफ्ट को ज्यादा सीटें मिलतीं तो और अच्छा प्रदर्शन करते’

बिहार: ‘लेफ्ट को ज्यादा सीटें मिलतीं तो और अच्छा प्रदर्शन करते’

बिहार विधानसभा चुनाव में वाम दलों ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था.

आईएएनएस
बिहार चुनाव
Published:
बिहार विधानसभा की कई सीटों पर काफी क्लोज फाइट
i
बिहार विधानसभा की कई सीटों पर काफी क्लोज फाइट
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन का मानना है कि महागठबंधन और बेहतर प्रदर्शन कर सकता था, अगर वाम दलों को ज्यादा सीटें आवंटित की गई होतीं. सीपीआई-एमएल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने आईएएनएस को बताया, "हालांकि मेरा मानना है कि वर्तमान संख्या बदल जाएगी और महागठबंधन अंतत: बिहार में सरकार बनाएगा, इसका प्रदर्शन कहीं बेहतर हो सकता था अगर वाम दलों को ज्यादा सीटें आवंटित की जातीं. हम बाद में नंबरों पर चर्चा और काम करेंगे."

बिहार विधानसभा चुनाव में वाम दलों ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था. अब तक, वे 18 सीटों पर सामूहिक रूप से आगे हैं. यह 62 फीसदी से ज्यादा की स्ट्राइक रेट है.

भट्टाचार्य के मुताबिक, इसका असर सिर्फ अन्य राज्यों पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पड़ेगा.

सीपीआई-एमएल 12 सीटों पर शानदार प्रदर्शन कर रही है, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 3 सीटों पर आगे चल रही हैं. साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में सीपीआई-एमएल को सिर्फ 3 सीटें मिलीं थी, जबकि अन्य 2 वाम दलों के हाथ खाली रहे थे.

सीपीआई के महासचिव डी राजा ने भी इसके प्रभाव के बारे में बात की. राजा ने आईएएनएस को बताया, “इसका असर अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी होगा. किसानों या मजदूरों के मुद्दे पर, वे अधिक आवाज बुलंद करेंगे.”

हाशिये पर जा चुके वामपंथियों की मदद से इस बार बिहार में अपनी जमीन वापस पाएंगे या नहीं? भट्टाचार्य ने वाम दलों के साथ मिलकर युवाओं को सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए एक निर्णायक कारक के रूप में नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान को इंगित किया.

उन्होंने कहा, "आपको क्यों लगता है कि नौकरियां जैसे मुद्दे सबसे आगे हैं? ये ठेठ वामपंथी चुनावी मुद्दे हैं और हमने युवाओं के असंतोष को आवाज दी."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT