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बिहार चुनाव से पहले एनडीए की दो पार्टियां आमने-सामने आ गई है. रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है. सोमवार को लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के आवास पर एलजेपी की बिहार संसदीय बोर्ड की बैठक हुई. संसदीय बोर्ड ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान के सामने रखा. सवाल ये है कि पासवान के तेवर इतने तीखे क्यों हो रहे हैं और उन्हें ताकत कहां से मिल रही है?
एलजेपी के प्रवक्ता और संसदीय बोर्ड के सदस्य संजय सिंह ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि मीटिंग में सदस्यों ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पार्टी में अपनी बात रखी है.
बता दें कि संसदीय बोर्ड की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान समेत 10 सदस्य मौजूद थे. इस दौरान आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी सदस्यों ने अपनी राय रखी.
अगर चिराग पासवान अपने संसदीय बोर्ड के फैसले पर मुहर लगाते हैं तो इसका मतलब ये हुआ कि एलजेपी बिहार में 243 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के लिए 100 सीट छोड़कर नीतीश कुमार की पार्टी के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारेगी.
चिराग भले ही एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन वो बिहार में जेडीयू के साथ गठबंधन में नहीं हैं, न ही सरकार का हिस्सा हैं. पिछले कुछ वक्त से चिराग लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर हैं.
बिहार की राजनीति में भले ही चिराग पासवान की पार्टी के लोकसभा में 6 सांसद हों, लेकिन विधानसभा में पार्टी कमजोर है. 2015 के चुनाव में एलजेपी को सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी. अब चिराग पासवान पार्टी के अध्यक्ष हैं और पार्टी के आधार को बढ़ाने की जिम्मेदारी उनके कंधे पर है. इसलिए चिराग लगातार नीतीश कुमार की सरकार को घेरकर खुद को बिहार की राजनीति में बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं. माना जा रहा है कि चिराग इस तरह से जेडीयू के खिलाफ कैंडिडेट उतारने की बात करके अपने लिए एनडीए में सीट बढ़ाना चाहते हैं.
2015 विधानसभा चुनाव में बीजेपी, एलजेपी, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी और जीतनराम मांझी की ‘हम’ ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन अब एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी हो चुकी है, और आरएलएसपी महागठबंधन के साथ है.
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने एनडीए में वापस आने के बाद से ही चिराग पासवान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. एलजेपी और मांझी दोनों को दलित राजनीति करने वाली पार्टी के रूप में देखा जाता है. ऐसे में दोनों का एनडीए में आना और एक दूसरे पर हमलावर होना एक नई राजनीतिक मैदान बनाने की ओर इशारा कर रहा है.
जीतन राम मांझी ने एनडीए में आते ही चिराग के खिलाफ बयान देते हुए कहा,
जीतन राम मांझी के ऐसे बयान की वजह से भी एनडीए में कड़वाहट बढ़ती जा रही है. अब अगर चिराग पासवान जेडीयू के खिलाफ अपने कैंडिडेट उतारते हैं तो सिर्फ नीतीश को नहीं बल्कि बीजेपी को भी नुकसान होगा.
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