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बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए वोट डाले चुके हैं. लेकिन कोरोना महामारी के बीच होने वाले इस अहम चुनाव के लिए पिछले करीब 1 महीने में जमकर प्रचार हुआ. जिसमें नेताओं ने कई जनसभाएं और रैलियां कीं. अब चुनाव में नेताओं के भाषण हों और उनमें विवादित बयान नहीं निकलें, ये कैसे मुमकिन हो सकता है. हालांकि इस बार बिहार चुनाव इतने ज्यादा बयानबाज नजर नहीं आए, लेकिन कुछ नेताओं ने अपने बयानों से माहौल गरम जरूर किया.
विवादित बयानों का सिलसिला तो काफी दिन पहले शुरू हो चुका था, लेकिन पहले आपको ताजा दिलचस्प बयानबाजी क्या चल रही है वो बताते हैं.
दरभंगा की एक रैली में पीएम मोदी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, पहले जो लोग सरकार में थे उनका एक मंत्र रहा है- पैसा हजम परियोजना खत्म... उन्हें कमीशन शब्द से इतना प्यार था कि कनेक्टिविटी पर कभी ध्यान ही नहीं दिया.
पीएम के अलावा आरजेडी और कांग्रेस ने मुंगेर में पुलिस और भीड़ के बीच हुए संघर्ष और उसमें हुई गोलीबारी पर तंज कसे हैं.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी तेजस्वी यादव और उनके परिवार को लेकर विवादित बयान दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि 'जिनके 9-9 बच्चे हैं वो भी विकास की बात करते हैं. बेटी पर भरोसा है ही नहीं, कई बेटियां हो गईं तब बेटा हुआ'.
सबसे पहले बिहार चुनाव में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने बड़ा विवादित बयान दिया था. उन्होंने अपने गृह जिला वैशाली में जेडीयू उम्मीदवार उमेश कुशवाहा का नामांकन करवाने के बाद जनसभा को संबोधित किया था. जिसमें उन्होंने कहा कि अगर आरजेडी की सरकार बनती है तो कश्मीर का आतंक बिहार की धरती पर पनाह लेना शुरू कर देगा. जिस पर खूब बवाल हुआ था. मंत्री ने कहा था,
इसके बाद मंत्री जी ने अपनी सफाई में कहा था कि इस बात को तूल देन की जरूरत नहीं है. उन्होंने ये बयान आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देने को लेकर दिया था. अगर सरकार अच्छी रही तो ऐसा नहीं होगा.
केंद्रीय मंत्री के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिहार पहुंचे और एक बार फिर जेएनयू, टुकड़े-टुकड़े गैंग और पाकिस्तान का जिक्र कर दिया. चुनाव बिहार में था और योगी जी ने पाकिस्तान का जिक्र छेड़ दिया. सीएम योगी ने कहा था कि अब पाकिस्तान के आतंकी कश्मीर में आकर जवानों पर हमला नहीं कर सकते हैं. अब जेएनयू में कोई नहीं बोल सकता है कि- भारत तेरे टुकड़े होंगे...
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह अपने बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं. अब बिहार चुनाव के दौरान भी गिरिराज सिंह ने विवादित बयान दे ही डाला. उन्होंने कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन पर निशाना साधने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना का जिक्र बिहार चुनाव में किया.
बता दें कि उम्मानी को लेकर सोशल मीडिया पर खबर फैलाई गई कि जब वो एएमयू के छात्रसंघ अध्यक्ष थे तो उन्होंने वहां जिन्ना की तस्वीर लगवाई थी. जबकि जिन्ना की तस्वीर एएमयू में आजादी के समय से पहले की है, क्योंकि जिन्ना यूनिवर्सिटी के एक फाउंडर थे और उन्हें छात्र संघ की आजीवन सदस्यता मिली हुई है.
अब हाल ही में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने भी एक ऐसा बयान दे दिया है, जिससे बिहार में हलचल तेज हो गई है. चुनावी जानकारों का कहना है कि ये बयान पार्टी को नुकसान भी पहुंचा सकता है. तेजस्वी ने बिहार की एक जनसभा में बाबू साहेब शब्द का इस्तेमाल किया, बिहार में राजपूत समुदाय के लिए इसका प्रयोग होता है. उन्होंने कहा कि जब बिहार में लालू जी का राज था तो दलित बाबू साहेब के आगे सीना तानकर बैठते थे. इस बयान के बाद तेजस्वी को इस पर सफाई भी देनी पड़ी.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने भी लालू प्रसाद यादव पर जमकर हमला बोलते हुए उन्हें ‘थेथर’ बता दिया. उन्होंने कहा कि लालू भ्रष्टाचार के आरोप में सजा भोग रहे हैं फिर भी उन्हें लाज नहीं आ रही है. वहीं बीजेपी के ही सांसद मनोज तिवारी ने बिहार के बांका में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कह डाला कि सुशांत सिंह राजपूत की हत्या में कांग्रेस का भी हाथ है. क्योंकि महाराष्ट्र में कांग्रेस भी सरकार में है.
चुनाव से पहले महागठबंधन का साथ छोड़ने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने भी लालू यादव को लेकर एक बयान दिया था. जो काफी तीखा था. उपेन्द्र कुशवाहा ने लालू परिवार पर तंज कसते हुए कहा था कि लालू यादव के समय में शिक्षा व्यवस्था कैसी थी इस समझने के लिए देख सकते हैं कि वे अपने दोनों बेटों को मैट्रिक भी पास नहीं करवा पाए.
इन सबके अलावा कई और नेताओं की जुबान भी इस चुनाव में फिसलती हुई दिखी. आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को रावण बता दिया. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता राक्षस राज और रावण राज का वध करने के लिए तैयार है.
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