क्या पुष्पम प्रिया चौधरी ओवर कॉन्फिडेंट हैं?

पुष्पम प्रिया चौधरी के लिए राजनीति में जगह बनाना कितना मुश्किल?

शादाब मोइज़ी
बिहार चुनाव
Published:
क्या पुष्पम प्रिया चौधरी ओवर कॉन्फिडेंट हैं?
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क्या पुष्पम प्रिया चौधरी ओवर कॉन्फिडेंट हैं?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह

बिहार चुनाव (Bihar Election 2020) से पहले क्विंट हिंदी ने बांकीपुर (Bankipur) सीट से चुनाव में उतरी प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी (Pushpam Priya Chaudhary) से खास बातचीत की. इस खास बातचीत में पुष्पम प्रिया चौधरी ने बिहार में उनके चुनावी मुद्दे साझा करते हुए कहा कि इस विधानसभा चुनाव में हर किसी की परीक्षा कड़ी होने वाली है.

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पुष्पम प्रिया चौधरी ने बताया कि चुनाव को लेकर उनकी तैयारी पूरी है. उन्होंने कहा है कि बिहार का ये 'बोर्ड एग्जाम' सभी का है. बिहार के लोगों को बहुत समय से एक विकल्प की तलाश थी. अभी तक लोगों को कोई विकल्प नहीं मिला था लेकिन अब उनके पास विकल्प है कि वो सबसे बेहतर चुने और उसे चुनें जो बिहार के लोगों की परेशानियों को जानता है और बिहार के लोगों के बारे में सोचता है.

बिहार के लोगों को अपनी पार्टी का नाम ‘प्लूरल्स पार्टी’ कैसे समझाएंगी?

मैं उन्हें बताती हूं कि ये सभी की पार्टी है, हमारी पार्टी सभी जाति-धर्म की पार्टी है. हर नेता कहता है कि वो सभी के हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. हमारे साथ ऐसा नहीं है.

पुष्पम प्रिया चौधरी की लड़ाई इस चुनाव में किससे है?

मेरी लड़ाई नीतीश और लालू यादव दोनों ही से है, तेजस्वी जी से है क्योंकि वो लालू जी की पार्टी को लीड कर रहे हैं, आप किसी परिवार से आते हैं सिर्फ इसलिए आपको समर्थन नहीं मिल सकता. जो समर्थन तेजस्वी जी को मिलता है वो उनके पिता की बदौलत है.

आप नीतीश कुमार पर हमलावर होती हैं, लालू यादव को चुनौती देती हैं, तेजस्वी का नाम नहीं लेती हैं, पिछले पंद्रह साल में तेरह साल बीजेपी भी रही है तो उसपर चुप्पी क्यों?

ये बिलकुल गलत बात है और मुझसे आप ये भी पूछ सकते हैं कि मैं कांग्रेस का नाम भी क्यों नहीं लेती हूं, लेकिन मैं फिर से साफ कर देना चाहती हूं कि मेरे लिए सभी एक ही हैं, इसमें कोई डाउट नहीं है, फिर चाहे कोई भी पार्टी हो, बिहार को लेकर सभी सरकारें फेल हुई हैं.

अगर वो चाहते हैं कि मैं उनके एजेंडे पर बात करूं तो मैं पहले ये जानना चाहूंगी कि वो मेरे एजेंडे के बारे में क्या कहते हैं. महिला सशक्तिकरण के बारे में उनके क्या विचार हैं? उन्होंने महिलाओं के लिए और उनकी सुरक्षा के लिए क्या किया है? इसके अलावा उन्होंने बिहार में कितनी इंडस्ट्री लगाई है, कितनों को रोजगार दिया है? जब वो इन सब के बारे में बात करेंगे तो मैं उनके एजेंडे पर बात कर सकती हूं.

मोदी सरकार की इकनॉमिक पॉलिसी पर क्या है राय?

मेरा इसपर कुछ जवाब नहीं बनता क्योंकि इसपर कोई स्टैंड नहीं करता, लेकिन मैं ये कहना चाहती हूं कि मेरी लड़ाई उनसे (मोदी) उस दिन होगी, जिस दिन मैं वहां बैठूंगी, और उनसे कहूंगी कि हमारी और हमारे राज्य की ये समस्याएं हैं और आप हमें इसमें मदद कीजिए. अगर वो मदद नहीं करते हैं तब मैं उनसे या उनके बारे में कुछ बात करूंगी.

पुष्पम प्रिया चौधरी इस चुनाव में खुली चुनौती देते हुए कहती हैं, ‘आप यहां आएं, आपको सभी जानते हैं आप अपने उम्मीदवारों को बांकीपुर सीट से चुनाव लड़वाइए और फिर हम मिलकर रेफ्रेंडम कराते हैं, आप (नीतीश कुमार) खुद भी उतरिए. आप दोनों अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, मैं भी अपनी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं. आप यहां (बांकीपुर सीट) अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार उतारें और उनके काम का आकलन करें. इस बार देख लेते हैं चुनाव लड़ कर.

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