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बिहार चुनाव 2020: एक गांव की कहानी, जिसकी ‘जिंदगी’ रुक गई है

अररिया में अभी तक पुल नहीं बना है. करीब 3 हजार आबादी वाले इस गांव में नाव के सहारे ही लोग आते जाते हैं.

शादाब मोइज़ी
बिहार चुनाव
Published:
करीब 3 हजार आबादी वाले इस गांव में नाव के सहारे ही लोग आते जाते हैं
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करीब 3 हजार आबादी वाले इस गांव में नाव के सहारे ही लोग आते जाते हैं
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह

बिहार के एक गांव अररिया में अभी तक पुल नहीं बना है. करीब 3 हजार आबादी वाले इस गांव में नाव के सहारे ही लोग आते जाते हैं . 2017 में गांव का पुल टूट गया था. यहां की महिलाओं की जिंदगी पुल ना होने की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुई है. पढ़ाई से लेकर शादी तक में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

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ग्रेजुएशन में पढ़ने वाली प्रीति कुमारी बताती हैं कि पापा किसान हैं. उनके मम्मी पापा आगे पढ़ाई के लिए उन्हें मना करते हैं.

मम्मी पापा कहते हैं कि नहीं पढ़ना है. हम बोलते हैं कि हमको टीचर बनना है. हम आगे पढ़ेंगे. पानी और रोड के कारण हम नहीं पढ़ पाते हैं. यहां किसी चीज की सुविधा नहीं है.
प्रीति कुमारी, छात्रा, बीए पार्ट 1

दियारी पंचायत के इस गांव में बाढ़-पानी और सड़क न होने की वजह से कोई रिश्ता नहीं करना चाहता है.

गांव के हालात देखकर कोई अच्छे घर वाला इस गांव में रिश्ते के लिए नहीं आता है.  कहते हैं कि वो डुबा हुआ गांव है, हमलोग कैसे आएंगे और जाएंगे. साधन ही नहीं है.
रामानंद यादव, स्थानीय

समस्या इस स्तर तक है कि गांव के लोगों को हॉस्पिटल जाने के लिए भी काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है. नाव के सहारे उसपार जाने के बाद ही डॉक्टर मिलते हैं. कभी जरूरी होने पर भी इतना वक्त लगता है कि रास्ते में ही बच्चे का जन्म हो जाता है.

दियारी पंचायत के वार्ड सदस्य भुवनेश्वर यादव कहते हैं कि विधायक का घर भी पास में ही है. वोट लेने के बाद जो यहां से गए फिर दोबारा यहां दिखे नहीं. हालांकि उनका घर भी पास में ही है. हमारी यहां कोई सुनवाई नहीं होती है.

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