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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी एक बार फिर नीतीश कुमार के पाले में चले गए हैं. पिछले कई दिनों से ऐसी खबरें सामने आ रही थीं, लेकिन अब मांझी ने खुद इस बात का औपचारिक ऐलान कर दिया है. मांझी की पार्टी कुछ महीने बाद होने वाले चुनाव में एनडीए के साथ मिलकर लड़ेगी. हालांकि मांझी ने सीट शेयरिंग को लेकर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और कहा कि अब तक इसे लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है. बता दें कि मांझी ने पिछले दिनों महागठबंधन से अलग होने की घोषणा की थी.
जीतन राम मांझी ने मीडिया के सामने आकर कहा कि,
मांझी ने साफ किया है कि उनकी पार्टी का किसी के साथ विलय नहीं हुआ है. उन्होंने कहा,
"कुछ दिनों से हमारा राजनीतिक कार्यक्रम चल रहा था. महागठबंधन में रहकर जब समन्वय समिति की बात की, आरजेडी और कांग्रेस को वक्त दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. जब हमने देखा कि अब महागठबंधन के लोग समन्वय समिति के पक्ष में नहीं हैं तो हम अलग हो गए. जो अच्छा काम होता है वो जितना जल्दी हो जाए उतना ठीक है. हमने फैसला ले लिया कि हम नीतीश कुमार जी के जेडीयू पार्टी के एक सहयोगी के तौर पर रहेंगे. हमारी पार्टी का विलय नहीं होगा. हम भी अपने को मानते हैं कि आज से हम एनडीए का हिस्सा हो चुके हैं."
2014 लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद नीतीश ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सीएम पद छोड़ दिया और मांझी को अपना विश्वासपात्र मानकर उन्हें सीएम बना दिया. उनका कार्यकाल नवंबर 2015 यानी विधानसभा चुनाव तक होना था, लेकिन मांझी ने ऐसे पैंतरे दिखाए कि नीतीश कुमार ने उन्हें वक्त से पहले ही उनसे सीएम की कुर्सी छीन ली. साथ ही उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया. इसके बाद मांझी ने अपनी अलग पार्टी HAM बना ली.
1944 में जन्मे मांझी गया कॉलेज से ग्रेजुएट हैं. राजीनीति से पहले मांझी ने गया टेलीफोन एक्सचेंज में काम किया. उनकी पांच बेटियां और दो बेटे हैं. मुशहर जाति से आने वाले मांझी बिहार में महादलितों के नेता माने जाते हैं. मुशहर जाति के राज्य में करीब दो परसेंट वोट हैं.
1990 तक मांझी कांग्रेस में थे. फिर उन्होंने RJD ज्वाइन की. कांग्रेस पार्टी के टिकट पर वो 1980 से 1990 तक विधायक रहे फिर RJD के टिकट पर 1996 से 2005 तक विधानसभा रहे. 2005 में उन्होंने जेडीयू ज्वाइन की और इसमें अगले दस साल रहे. यानी 2015 में पार्टी से बर्खास्त किए जाने तक.
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