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नीतीश कुमार 16 नवंबर को एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. इस शपथग्रहण के पहले दो बातों की जमकर चर्चा हो रही है-
सुशील कुमार मोदी ने नीतीश के बयान और बैठक के बाद एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने लिखा है- ‘कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता.’
दरअसल, इस बार 'माहौल' अलग है, चुनाव नतीजों में बीजेपी के मुकाबले जेडीयू की सीटें कहीं कम आईं तो पार्टी के ऊपर दबाव बढ़ा और अब खुद नीतीश कुमार कहते हैं कि वो सीएम नहीं बनना चाहते हैं. एनडीए नेताओं की बैठक मेंविधायक दल का नेता चुने जाने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि वो मुख्यमंत्री तो नहीं बनना चाहते हैं लेकिन बीजेपी के नेताओं के आग्रह पर मुख्यमंत्री बनना मंजूर किया.
पिछली सरकारों में नीतीश कुमार के साथ सुशील मोदी डिप्टी हुआ करते हैं. ये भी देखा गया था कि दोनों साथ मिलकर राज्यपाल के पास सरकार गठन का दावा करने के लिए पहुंचते थे लेकिन इस बार नीतीश कुमार, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और एनडीए के घटक दल के दूसरे नेताओं के साथ राज्यपाल के पास पहुंचे. सुशील मोदी की गैर-मौजूदगी से सवाल उठे तो पत्रकारों ने पूछा सुशील मोदी डिप्टी सीएम बनेगे, इस पर नीतीश कुमार ने कोई जवाब नहीं दिया.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी डिप्टी सीएम को लेकर कहा कि सबकुछ बैठकर तय कर लेंगे. राजनाथ सिंह ने कहा कि बीजेपी विधायकों की बैठक में तारकिशोर प्रसाद को बीजेपी विधायक दल का नेता और रेणु देवी को उपनेता चुना गया है.
बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने भी इस संबंध में बोलने के लिए तैयार नहीं हैं.
ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार ‘सुमो’ को नई जिम्मेदारी देकर किसी दूसरे नेता को डिप्टी सीएम के पद पर बैठाया जा सकता है. रामविलास पासवान के निधन के बाद कैबिनेट में जो जगह खाली हुई है, उसे भरा जा सकता है.
सुशील मोदी ने खुद ट्वीट कर कहा है कि जो जिम्मेदारी मिलेगी निभा लूंगा
ऐसे में डिप्टी सीएम की दावेदारी की बात करें तो कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाए जाने की बात सामने आ रही है. कामेश्वर चौपाल भी रेस में बताए जा रहे हैं. बीजेपी चौपाल को पद देकर दलित समुदाय को 'स्ट्रॉन्ग मैसेज' दे सकती है. कामेश्वर चौपाल का संघ से गहरा नाता है और वे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य भी हैं. उन्होंने 1989 में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर शिलान्यास पत्थर रखा था. चौपाल फिलहाल विधानपरिषद के सदस्य हैं. बड़ी बात यह है कि उन्होंने कभी चुनाव नहीं जीता.
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