बिहार चुनाव: मतदान छोड़ लौटने को मजबूर प्रवासी मजदूर  

कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन में लाखों प्रवासी मजदूर बिहार लौटे थे.

शादाब मोइज़ी
बिहार चुनाव
Published:
प्रवासी मजदूरों का घर दिखा रहा है उनकी बदहाली की कहानी
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प्रवासी मजदूरों का घर दिखा रहा है उनकी बदहाली की कहानी
(फोटो: altered by Quint Hindi)

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वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई

एक तरफ बिहार चुनाव (Bihar Election ) का शोर है, तो दूसरी तरफ वापस पलायन करते मजदूर. बिहार चुनाव में जहां राजनीतिक दल के नेता हेलीकॉप्टर से लेकर दरवाजे-दरवाजे घूमकर वोट मांग रहे हैं, वहीं दरभंगा के बहादुरपुर ब्लॉक में अलग अलग राज्यों से बिहार वापस आए प्रवासी काम की तलाश में वापस दूसरे शहर को लौट रहे हैं. वापस लौटने की वजह है बिहार में काम नहीं मिलना.

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दरअसल, कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन में लाखों प्रवासी मजदूर बिहार लौटे थे. सरकार ने रोजगार के तरह तरह के वादे किए थे. लेकिन पंजाब से बिहार लौटने वाले सुधीर कहते हैं-

6 महीने से बेरोजगार हैं, जमा सारा पैसा खत्म हो गया. अब किसी तरह कर्ज लेकर वापस लौट रहे हैं. चुनाव से मेरा पेट नहीं भरेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जून को गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की थी. योजना का मकसद मजदूरों की आर्थिक समस्याओं को दूर करना और रोजगार के अवसर बढ़ाना था. इसके तहत 6 राज्यों के 116 जिलों के मजदूरों को 125 दिनों के लिए काम देने की बात कही गयी. इसमें बिहार के 32 जिले शामिल किये गए हैं.

लेकिन बहादुरपुर ब्लॉक के मुखिया सुदिष्ट बताते हैं कि उनके गांव में लौटे प्रवासी मजदूरों को कोई नौकरी नहीं मिली है, यहां तक कि मनरेगा के तहत भी रोजगार नहीं मिला.

सुदिष्ट कहते हैं...

कोरोना के दौरान हमारे गांव में करीब 3500 लोग वापस आये थे, अब कई लोग काम की तलाश में वापस लौट चुके हैं, और कुछ लौटने वाले हैं. गांव में रोजगार के लिए ना ही किसी तरह का कैम्प लगा न ही कोई मैपिंग हुआ.

दिल्ली में काम करने वाले मुकुंद कुमार ठाकुर भी लॉकडाउन में अपने घर आए थे. मुकुंद कहते हैं, 'उनके कई साथी ने स्किल इंडिया के तहत ट्रेनिंग लिया, स्किल सीखा, सर्टिफिकेट तो मिल गया लेकिन काम नहीं मिला."

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