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एलजेपी नेता चिराग पासवान की पार्टी को भले ही एक सीट मिली हो, लेकिन चिराग दिवाली के बाद पूरे बिहार में धन्यवाद यात्रा निकालने की तैयारी में हैं. चिराग का पूरा चुनाव प्रचार नीतीश कुमार के खिलाफ चला, यहां तक कि उन्होंने नीतीश को जेल भेजने की बात भी की थी. वैसे भले ही बिहार में एनडीए की जीत हुई है, लेकिन नीतीश की जेडीयू को काफी नुकसान हुआ है, जिसके लिए एलजेपी को ही जिम्मेदार बताया जा रहा है.
गुरुवार चिराग ने कहा था
चिराग पासवान ने ये भी कहा था कि उनकी पार्टी एलजेपी पिछलग्गू पार्टी के ‘टैग’ से बाहर निकल गई है. यह पार्टी की सबसे बड़ी जीत है. बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत हुई है. उन्होंने बीजेपी के मजबूत होने का दावा करते हुए कहा, “बीजेपी मजबूत हुई है. बीजेपी जिसे चाहे उसे मुख्यमंत्री बनाए. अब बीजेपी को तय करना है.”
भले ही एलजेपी को एक सीट मिली हो, लेकिन 34 सीटों पर जेडीयू के वोट काटे. इस बार जेडीयू का बिहार में प्रदर्शन बेहद खराब रहा, हमेशा बड़े भाई की भूमिका निभाने वाली पार्टी को काफी कम सीटें मिली हैं, इस चुनाव में बीजेपी को जहां 74, वहीं नीतीश कुमार की जेडीयू को सिर्फ 43 सीटें ही मिलीं. जबकि 2015 के चुनाव में जेडीयू को 71 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
लेकिन सवाल ये है कि एनडीए से अलग होने के बाद चुनाव लड़ने वाले चिराग का आखिर भविष्य क्या है. एलजेपी फिलहाल केंद्र में एनडीए के साथ है, उन्होंने सिर्फ बिहार में एनडीए का साथ छोड़ा था. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने खुद को पीएम मोदी का हनुमान भी बताया था, बिहार चुनाव में एनडीए को तो बहुमत मिल गया है, तो क्या एक सीट वाली एलजेपी एनडीए में शामिल होगी और अहम बात तो ये है कि क्या नीतीश कुमार एनडीए में एलजेपी को शामिल होने देंगे.
चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से चिराग नीतीश पर हमलावर रहे उसके बाद क्या जेडीयू बीजेपी पर दबाव नहीं बनाएगी कि एलजेपी को एनडीए में शामिल ना किया जाए.
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