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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की धमाकेदार जीत हुई. पार्टी ने 90 में से 68 सीटों पर कब्जा जमाया, अब कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने राज्य के नए मुख्यमंत्री का ऐलान कर दिया है. छत्तीसगढ़ विधानसभा कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ही राज्य के अगले सीएम होंगे. रविवार को पार्टी की विधायक दल मीटिंग में भूपेश बघेल को नेता चुना गया. आइए नजर डालते हैं उनके राजनीतिक सफर पर....
भूपेश बघेल ओबीसी के बड़े नेता हैं और छत्तीसगढ़ की आबादी में करीब 36 फीसदी हिस्सेदारी ओबीसी की है.भूपेश साल 2000 में हुए मध्य प्रदेश विभाजन से पहले दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
2018 के विधानसभा चुनावों से पहले बघेल ने कांग्रेस को पुर्नजीवित करने के लिए राज्य का पैदल दौरा किया था. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के नाते भूपेश बघेल ने अपने तेवरों से छत्तीसगढ़ की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान बनाया और अब वो पूरे राज्य की जिम्मेदारी लेने जा रहे हैं.
हालांकि साल 2008 के विधानसभा चुनाव में वो हार गए थे लेकिन 2013 में वो फिर से जीते. इस बीच साल 2009 और 2014 के आम चुनाव में उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन दोनों ही बार उन्हें शिकस्त मिली.
पूर्व कांग्रेस नेता स्वर्गीय चंदूलाल चंद्राकर को भूपेश बघेल अपना राजनीतिक गुरू मानते हैं और वो कहते हैं कि मेरे तीन मंत्र हैं जो 1993 में चंदूलाल चंद्राकर ने ही उन्हें बताए थे जिस पर वो हमेशा अमल करते हैं.
छत्तीसगढ़ में 15 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद प्रदेश में कांग्रेस पार्टी बिखर सी गई थी. कई वरिष्ठ नेता एक दूसरे से नाराज थे और पार्टी में गुटबाजियां चल रही थीं. ऐसे समय में भूपेश बघेल ने कांग्रेस पार्टी के संगठन को मजबूत किया और रूठों के मनाते हुए आज सत्ता में सबसे ऊपर पहुंच गए हैं.
1. धान खरीद में लिमिट लगी तो भूपेश बघेल ने राज्यभर के किसानों से अपील की कि वो सरकार को धान नहीं बेचें, राज्य सरकार को झुकना पड़ा और लिमिट 10 क्विंटल से बढ़ाकर 15 क्विंटल करनी पड़ी.
2. किसानों का भूपेश बघेल और कांग्रेस सरकार बनने का भरोसा इतना ज्यादा था कि जब कांग्रेस ने घोषणा पत्र में कहा कि अगर सरकार बनी तो 2500 रुपए क्विंटल भाव पर धान खरीदी होगी तो बड़े पैमाने पर किसानों ने नतीजा आने तक सरकार को धान बेचने से ही इनकार कर दिया
3. आदिवासी इलाकों में पट्टे रद्द करने का फैसला कांग्रेस के आंदोलन की वजह से रमन सिंह सरकार को वापस लेना पड़ा, आदिवासियों के बीच समर्थन बनाने में कांग्रेस के बहुत काम आया.
4. गांवों के बजट में छेड़छाड़ करने के सरकार के कदम का भी बघेल ने विरोध किया खास तौर पर मोबाइल टावर लगाने में रमन सिंह सरकार ने ग्रामसभा के पैसे का इस्तेमाल करने का ऐलान किया तो भूपेश बघेल की अगुआई में कांग्रेस ने आंदोलन छेड़ा रमन सिंह सरकार को ये कदम वापस लेना पड़ा.
5.इसी तरह बघेल ने राशन कार्ड रद्द करने के खिलाफ आंदोलन किया और इन आंदोलनों से उनकी इमेज जनता के काम करने वाले नेता के तौर पर बनती चली गई.
भूपेश बघेल को जोगी परिवार दुश्मन मानता है क्योंकि उन्होंने ही अजित जोगी के बेटे अमित जोगी को पार्टी से बर्खास्त किया. इसके बाद अजित जोगी को पार्टी से बाहर जाना पड़ा.
अजित जोगी की पत्नी रेणु जोगी के कांग्रेस में रहने के बावजूद इस बार विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देने पर अड़े रहे. इस तरह पूरे जोगी परिवार को बघेल ने कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
छत्तीसगढ़ में चुनाव भाषणों के दौरान अजित जोगी अक्सर भाषणों में जिक्र करते थे कि किस तरह कांग्रेस ने उनके परिवार को निशाना बनाया और लोग कांग्रेस की सरकार नहीं बनने देंगे. पर आखिरकार तमाम जोखिम लेने के बावजूद भूपेश बघेल ही मुख्यमंत्री बनने में कामयाब भी रहे.
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